इंदौर (मध्यप्रदेश), 23 जनवरी (भाषा) अलग-अलग ओटीटी प्लेटफॉर्म के कार्यक्रमों में भारी हिंसा और गाली-गलौज के दृश्यों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मशहूर किस्सागो नीलेश मिसरा ने शनिवार को कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी कई जिम्मेदारियों के साथ आती है।
‘इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल’ में हिस्सा लेने आए मिसरा ने स्थानीय प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं हालांकि किसी खास वेब सीरीज की बात नहीं कर सकूंगा। लेकिन अलग-अलग ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित कार्यक्रमों में भारी हिंसा और गाली-गलौज के दृश्यों को लेकर मुझे बेहद आपत्ति है।’
उन्होंने कहा, ‘ओटीटी प्लेटफॉर्म के एक दर्शक के तौर पर मुझे हिंसा के वीभत्स दृश्यों से डर लगता है। जब मेरी साढ़े पांच साल की बेटी मेरे कमरे में आती है, तो मुझे इन प्लेटफॉर्म पर चल रहा कोई कार्यक्रम तुरंत रोकना पड़ता है क्योंकि मुझे कतई पता नहीं होता कि इसका कौन सा किरदार अचानक कौन-सा अपशब्द कह देगा।’
मिसरा ने कहा, ‘वे (वेब सीरीज निर्माता) यह सब इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि देश में अभिव्यक्ति की आजादी है। मैं अभिव्यक्ति की आजादी का पूरी तरह पक्षधर हूं। लेकिन यह आजादी कई जिम्मेदारियों के साथ आती है।’
उन्होंने कहा, ‘अब दर्शकों को यह घिसी-पिटी दलील नहीं दी जा सकती कि अगर उन्हें कोई कार्यक्रम पसंद नहीं आ रहा है, तो वे उसे न देखें। सबसे पहला सवाल यह है कि कोई आपत्तिजनक कार्यक्रम आखिर बनाया कैसे गया?’
मिसरा ने सुझाया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किसी आपत्तिजनक या अपमानजनक दृश्य को लेकर दर्शकों द्वारा इन्हीं मंचों पर तुरंत शिकायत दर्ज कराने के लिए व्यवस्था शुरू की जानी चाहिए और इस तंत्र के निर्माण के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाना चाहिए।
उन्होंने भारत में सिनेमा पर सेंसरशिप की मौजूदा प्रणाली को ‘एकदम असफल’ करार देते हुए कहा, ‘हमारी फिल्मों में अब भी ऐसे दृश्य दिखाए जाते हैं जिनमें लड़कियों को परेशान करने के लिए लड़कों द्वारा उनका पीछा करने को महिमामंडित किया जाता है।’
भाषा हर्ष
शोभना
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