जबलपुर। आपने आज तक आम तौर पर घोड़ों को शादी विवाह में दूल्हे को ले जाते या फिर घोड़ा गाड़ी में सवारियों को लाते ले जाते देखा होगा। लेकिन आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं, उसे देखकर दंग रह जाएंगे। जबलपुर में आज लोगों को सड़कों पर अजीब वाकया देखने मिला, जहां एक दो नही बल्कि एक दर्जन से ज्यादा घोड़ा गाड़ी सड़कों पर रफ्तार भरते नजर आई और वो भी इसलिए ताकि पर्यावरण को बचाने और वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए लोगों को जागरूक किया जा सकें।
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पर्यावरण को बचाने और वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश देने के लिए आपने कई दौड़ देखी होंगी। लेकिन आज जबलपुर की सड़कों में एक ऐसी अनोखी दौड़ देखने मिली जिसमें लोगों को पर्यावरण बचाने और प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश देने के लिए दर्जनों की संख्या में ये घोड़े गाड़ी सहित दौड़े। दरअसल एक समय था जब लोग आवागमन के लिए घोड़ा गाड़ी और अन्य संसाधनों का इस्तेमाल करते थे। जिससे न तो पर्यावरण को नुकसान होता था और न ही वायु प्रदूषण को कोई खतरा था । लेकिन बदलते वक्त की जरूर के साथ जहां गाड़ियों संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वही समय की बचत के लिए लोग अब घोड़ा गाड़ियों का इस्तेमाल न के बराबर करते हैं। जिससे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इन्ही सब बातों से लोगों जागरूक करने के लिए जबलपुर में घोड़ागाड़ी रेस का आयोजन किया गया।
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आयोजकों का कहना है कि गाड़ियां आज वक्त की मांग है और लोगों का शौक भी है। जिससे पर्यावरण खतरे में पड़ गया है। यदि लोग हफ्ते में एक दिन अपनी गाड़ियां छोड़ घोड़ागाड़ी का इस्तेमाल करेगें। तो उससे न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि घोड़ागाड़ी भी चलन में वापस आ जाएगी। बता दें कि जबलपुर की कटंगी तहसील के बोरिया गांव से लेकर जबलपुर बायपास तक इस तांगा दौड़ का आयोजन किया गया था। जिसमें करीब 14 घोड़ा गाड़ियों ने हिस्सा लिया। इस दौड़ में घोड़ा गाड़ी सवार और घोडों ने अपने हुनर और क्षमता का परिचय दिया। इस घोड़ा गाड़ी रेस में जबलपुर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के भी घोड़ा गाड़ी चालक अपने घोडों के साथ पहुंचे थे। नेशनल हाईवे 30 में आयोजित हुई रेस को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और यातायात विभाग की टीम भी पूरे समय तैनात रही।
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20 किलो मीटर लंबी रेस शुरू होते ही देखने वालों ने दांतो तले उंगली दबा ली। घोड़े अपनी पूरी रफ्तार के साथ सड़क पर दौड़ रहे थे और घोड़ा गाड़ियों के बीच एक दूसरे को पीछे करने की होड़ लगी रही। करीब 20 किलोमीटर की इस दौड़ में कटंगी के रहने वाले तांगा चालक राजीव अपनी लाली नाम की घोड़ी के साथ बाजी मारने में कामयाब हुआ। जिसे ईनाम के बतौर ट्रॉफी के साथ 51 हजार रुपये की राशि दी गई।
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