बुर्कापाल हमले के बाद रूका सड़क निर्माण कार्य फिर शुरू हुआ, सैकड़ों जवान हो चुके हैं शहीद

बुर्कापाल हमले के बाद रूका सड़क निर्माण कार्य फिर शुरू हुआ, सैकड़ों जवान हो चुके हैं शहीद

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  • Publish Date - October 22, 2017 / 07:41 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

बुर्कापाल हमले के बाद से दोरनापाल, जगरगुंडा मार्ग पर निर्माण कार्य 6 महिने बाद फिर शुरू हो गया है, इस हमले में 25 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, जिसके बाद सीआरपीएफ ने रोड ओपनिंग सुरक्षा देने से इंकार कर दिया था, इसके बाद स्थानीय बलों के साथ ही अर्धसैनिक बलों की ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई, बावजूद इसके 56 किमी. लंबी इस बेहद संवेदनशील सड़क में निर्माण कार्य शुरू हुआ हैं, गौरतलब है, कि इसी इलाके में अब तक सबसे ज्यादा नक्सली हमले हुए हैं।

 बुरकापाल में नक्सली हमले में CRPF के 25 जवान शहीद, 90 जवानों पर 300 नक्सलियों ने किया हमला

23 अप्रैल 2017 को बुर्कापाल के पास निर्माणाधीन पुलिया की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ की गश्ती दल को नक्सलियों निशाना बनाकर हमला किया, जिसमें 25 जवान शहीद हो गए थे, इसके बाद से सीआरपीएफ ने सड़क निर्माण को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था, इंकार की वजह भी वाजिब थी, क्योंकि रोड ओपनिंग के दौरान ही सबसे ज्यादा सीआरपीएफ जवानों की शहादत इस इलाके में पिछले कुछ समय में हुई हैं, यही वजह हैं, कि बारिश के बाद से ही पूरा काम बंद पड़ा हुआ था, यह सड़क पिछले चार दशकों से सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है, अब तक सर्वाधिक नक्सल हमले भी दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच 56 किलोमीटर की सड़क पर हुए हैं, अप्रैल 2010 में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत इसी सड़क पर ताड़मेटला इलाके में हुई थी।

बुरकापाल हमले का पूरा सच

हालांकि प्रशासनिक अफसर फोर्स के बीच इस विवाद को मानने को तैयार नहीं है, और हर हाल में सड़क पूरा करने को लेकर जोर दिया जा रहा है, पिछले दिनों कुछ जगह सड़क काट कर भी माओवादियों ने निर्माण रोकने की कोशिश की थी इधर दोबारा सड़क निर्माण शुरू होने से इलाके में लोगों को राहत की उम्मीद है। अब तक इस सड़क में कई बड़े माओवादी हमले हुए हैं 2008 में मुकर्रम के पास नक्सलियों ने सड़क काटी थी और इसे सुधारने पहुंचे जगरगुंडा टीम के थानेदार हेमंत मंडावी सहित 12 जवान माओवादियों के एम्बुस में फंसकर शहीद हो गए थे, इसके बाद अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में 76 जवान शहीद हुए थे छुटपुट घटनाओं में कई जवानों की जानें गई और इसके बाद 2007 में जगरगुंडा में सलवा जुडूम के खुलने के बाद नक्सलियों ने चिंतलनार के आगे 12 किलोमीटर मार्ग पर सभी पुल-पुलियों को क्षतिग्रस्त कर दिया जिसके बाद भारी वाहनों का आना जाना लगभग बंद सा हो गया यहां तक कि आए दिन माओवादियों की गतिविधियों की वजह से सामान्य वाहन भी इस इलाके में नहीं चलाए जा पाते हैं।