नेशनल ग्रीन ट्र्रिब्युनल के मंच पर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सरकारें गंभीर दिखीं. दोनों ही प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने जजों के सामने पर्यावरण बचाने और प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की जानकारी रखी. तो पर्यावरण बचाने के लिए अपने-अपने प्रदेशों की रणनीति भी पेश की. साथ ही उन्होने पर्यावरण बचाने के अभियान में लोगों से भी जुड़ने की अपील की ।
भोपाल में पहली बार हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के क्षेत्रीय सम्मेलन में मध्य प्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पर्यावरण बचाने पर मंथन हुआ. एनजीटी की प्रिंसीपल बैंच के चेयरमेन जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने कहा कि पूरे देश में पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है. इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह ने पर्यावरण को लेकर एनजीटी के कामों की सराहना की.
उन्होंने कहा कि कुछ पेड़ों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ में इंद्रावती जैसे प्रोजेक्ट 35 साल से अटके हैं. जिसकी लागत 300 करोड़ से बढ़कर अब 3600 करोड़ हो गई है. वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पर्यावरण को लेकर अब तक हुए कामों का लेखा-जोखा पेश किया. दो दिन तक चलने वाले सम्मेलन में नदी एवंज विविधता संरक्षण, जलीय क्षेत्रों का संरक्षण औश्र प्रदूषण एवं सतत विकास विषय पर तकनीकी सत्र हुए. जिसमें विषय विशेषज्ञों ने अपने सुझाव रखे. वहीं सम्मेलन में आए सुझाव एनजीटी तीनों राज्यों में लागू करने के लिए सरकारों को सिफारिश करेगा.