मध्यप्रदेश। उज्जैन जिले के महिदपुर एसडीएम का एक फरमान सुर्खियों का विषय बन गया है। वैसे सुर्खियों से ज्यादा ये विवाद का मुद्दा बनता जा रहा है। फरमान में सरपंच और पंचायत सचिव को निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में होने वाली किसी भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग से जुड़े किसी व्यक्ति की बारात निकालने से 3 दिन पहले थाने में उसकी जानकारी दें और पुलिस हेड कांस्टेबल से उसकी लिखित स्वीकृति लें।
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फरमान के अनुसार ये कदम सुरक्षा के लिहाज से उठाया जा रहा है। एसडीएम जगदीश गोमे ने इस आदेश का बचाव करते हुए कहा, यह ऐहतियात के तौर पर उठाया गया कदम है। हम किसी भी अवांछित घटना से बचना चाहते हैं। इसलिए यह आदेश जारी किया गया है।
आपको ज्ञात हो तो कुछ दिन पहले ही माहिदपुर के ही नज़दीकी नाग गुराड़िया गांव में कुछ सवर्णों ने दलित समाज के दूल्हे को अपने क्षेत्र से बारात ले जाने से इंकार कर दिया था। सवर्ण समाज के लोगों का कहना था कि घोड़े पर चढ़कर बारात केवल हम निकाल सकते हैं। इस वाक्या के बाद दोनों पक्षों में झड़प हुई थी। जिसके बाद मामला पुलिस थाने पहुंचा और 17 लोगों पर मामला दर्ज किया।
कुछ इसी प्रकार की एक घटना राजस्था न के भीलवाड़ा जिले में गोवर्द्धनपुरा गांव में भी हुई थी। यहां एक दलित व्यक्ति जो कि अपनी शादी के दौरान घोड़ी पर चढ़कर जा रहा था, यहां मौजूद कुछ लोगों ने उसे घोड़ी से उतरने के लिए मजबूर किया और न उतरने पर दूल्ले को खूब पीटा। इस घटना के बाद भी पुलिस ने कुछ लोगों पर sc / ST एक्ट के तहत मामला दर्द किया था।
वेब डेस्क, IBC24