पूर्व मुख्यमंत्री के पैदल मार्च को प्रशासन ने रोका, फिर नाराज होकर करने लगे ये काम

Akhilesh yadav : उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को समाजवादी पार्टी ने बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं ....

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  • Publish Date - September 19, 2022 / 03:46 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:12 PM IST

लखनऊ। Akhilesh yadav : उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को समाजवादी पार्टी ने बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर राज्य सरकार के विरोध में पार्टी कार्यालय से पैदल मार्च का आयोजन किया, लेकिन पुलिस ने इसे रोक दिया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ सपा कार्यालय से विधानभवन की तरफ पैदल जा रहे थे, तभी पुलिस ने विक्रमादित्य मार्ग चौराहे के निकट इनको रोक लिया।

इसके बाद सपा अध्‍यक्ष यादव और अन्‍य नेता विरोध स्‍वरूप वहां धरने पर बैठ गए। धरना देने के स्‍थान पर सपा ने आम आदमी से संबंधित मुद्दों को उठाने से रोकने के लिए भाजपा सरकार पर हमला किया, वहीं पुलिस ने कहा कि पैदल मार्च को इसलिए रोक दिया गया क्योंकि इसके लिए जिस रास्ते की अनुमति दी गई थी, उसके बजाय दूसरा रास्ता अपनाया गया था। संयुक्‍त पुलिस आयुक्‍त (कानून-व्यवस्था) पीयूष मोर्डिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “सपा नेताओं को विक्रमादित्‍य मार्ग चौराहे पर रोक दिया गया। किसी भी सपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया।’’

उन्‍होंने बताया कि सपा के इस मार्च के लिये प्रशासन ने एक मार्ग निर्धारित किया था, लेकिन वह लोग निर्धारित मार्ग पर न जाकर दूसरे मार्ग पर जा रहे थे, इसलिए उन्‍हें रोक दिया गया। मोर्डिया ने बताया कि आम जनता को परेशानी न हो और कानून व्‍यवस्‍था बाधित न हो इसलिए सपा कार्यकर्ताओं को रोका गया। पदयात्रा को लेकर विक्रमादित्य मार्ग पर सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त किया गया था। उन्होंने बताया कि बैरिकेडिंग कर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था तथा इस रास्ते पर आम लोगों का आवागमन बंद कर दिया गया था। धरना स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए यादव ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार सपा का सामना नहीं करना चाहती, क्योंकि वह सभी मोर्चों पर विफल रही है.

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अखिलेश यादव ने कहा, ‘कोई सोच भी नहीं सकता था कि भारत जैसे ग्रामीण देश में दूध, दही और घी पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा। खाद्य वस्तुएं महंगी हो रही हैं। युवाओं, गरीबों और दलितों की नौकरियां छीनी जा रही हैं। रेलवे और हवाई अड्डों को बेच दिया गया है।’ सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के कारण सेना में भर्ती रोक दी गई थी। युवा अग्निवीर योजना से असंतुष्ट हैं। जिस तरह से युवा (प्रदर्शनकारी) सामने आए, उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए।’ उन्‍होंने कहा कि सपा विधायक पहले इन मुद्दों को उठाना चाहते थे और विरोध करना चाहते थे, लेकिन सरकार ने हमें रोक दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एक विरोध मार्च निकालना चाहती थी, लेकिन इसे भी रोक दिया गया। अखिलेश यादव ने बाद में ट्वीट किया, ‘ महंगाई, बेरोजगारी,बदहाल कानून-व्यवस्था और किसान, महिला व युवा उत्पीड़न जैसे जनहित के मुद्दों पर सपा के ‘पैदल मार्च’ के मार्ग में बाधा बनकर भाजपा सरकार साबित कर रही है कि वह जन आक्रोश से डरकर कितना असुरक्षित महसूस कर रही है। सत्ता जितनी कमज़ोर होती है, दमन उतना ही अधिक बढ़ता है।” समाजवादी पार्टी के पैदल मार्च के बारे में विधानभवन के बाहर जब पत्रकारों ने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से सवाल किया, तो उन्‍होंने जवाब दिया,”किसी भी दल या व्‍यक्ति को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने में कोई बुराई नहीं हैं।

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लेकिन संबंधित जिम्‍मेदार नागरिकों, संगठनों या राजनीतिक दलों का नैतिक दायित्‍व है कि किसी आंदोलन या जुलूस के लिए नियमानुसार अनुमति मांगनी चाहिए।’’ आदित्‍यनाथ ने कहा कि उन्‍होंने अगर मंजूरी मांगी होगी, तो इसके लिए प्रशासन ने सुरक्षित मार्ग जरूर उपलब्‍ध कराया होगा। आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी नजर में समाजवादी पार्टी से यह उम्‍मीद करना कि वह किसी नियम और शिष्‍टाचार को माने, यह एक कपोल कल्‍पना ही कही जा सकती है। पदयात्रा के लिए अखिलेश यादव करीब 10 बजे सपा कार्यालय पहुंच गए थे। वहां से सभी विधायक व कार्यकर्ता अखिलेश यादव के नेतृत्व में विधानभवन के लिए पैदल निकले थे। इससे पहले 14 सितंबर को जिला प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं को बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विधानभवन परिसर के अदंर चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समक्ष धरना देने से रोक दिया था। बाद में पार्टी ने 19 सितंबर को सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में विरोध मार्च निकालने का फैसला लिया था ।

इस बीच, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी – लोहिया (प्रसपा ) के प्रमुख शिवपाल यादव ने विरोध मार्च में भाग नहीं लिया, क्योंकि वह इटावा में थे। शिवपाल इटावा के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से सपा के विधायक हैं। शिवपाल यादव भी सोमवार को विधानसभा में मौजूद नहीं थे। हालांकि, सिराथू से सपा विधायक और अपना दल ( कमेरावादी ) की वरिष्ठ नेता पल्लवी पटेल विधानसभा में मौजूद रहीं। सपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के विधायकों ने उप्र विधान भवन में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर धरना दिया और बाद में सदन की कार्यवाही में भाग लिया। विरोध मार्च और धरना स्थल पर ‘छद्म विधानसभा सत्र’ में मौजूद सपा विधानपरिषद सदस्‍य स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘पीटीआई्-भाषा’ से कहा, हमें सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति नहीं थी, इसलिए हम अपने स्थान पर ही बैठ गए, और सदन की कार्यवाही का संचालन उप्र विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने किया। इसकी शुरुआत वंदे मातरम से हुई, और फिर भाजपा विधायक अरविंद गिरी (गोला गोकर्णनाथ) को श्रद्धांजलि दी गई, इसके बाद दो मिनट का मौन रखा गया।