(तस्वीरों के साथ)
लखनऊ (उप्र), 19 सितंबर (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश में मानव-पशु संघर्ष को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए भाजपा सरकार पर हमला करते हुए यह कार्य विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंप देने का सुझाव दिया।
यादव ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘‘ हम देख रहे हैं कि सड़कों पर दुर्घटनाएं हो रही हैं और आवारा पशुओं के कारण लोग जान गंवा रहे हैं। हमने देखा है कि जंगल से सटे इलाकों में लोग तेंदुए और बाघों द्वारा मारे जा रहे हैं। बहराइच में लोग सियार/भेड़ियों के हमलों से आतंकित हैं। सरकार अब भी गंभीर नहीं है।’’
हाल में एक मुठभेड़ के बाद चर्चा में आए पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) पर कटाक्ष करते हुए यादव ने कहा, ‘‘आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए एक एसटीएफ बनाया जाना चाहिए। या फिर (इस) एसटीएफ को सियार की समस्या के समाधान का काम दिया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि जानवरों को मारने के बजाय उनके जंगलों की अवैध कटाई रोकी जानी चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, तब से बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए बुलडोजर की मानसिकता से ऊपर उठना होगा। आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया था। उस नोडल अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है? आवारा पशुओं की समस्या के प्रबंधन के लिए दिए गए भारी भरकम फंड का क्या हुआ।’
यादव ने मांग की कि बहराइच में भेड़ियों के हमले में मारे गए बच्चों के परिजनों को सरकार की ओर से 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए तथा घायलों को एक लाख रुपये दिए जाने चाहिए।
उन्होंने बहराइच में भेड़ियों के हमले से प्रभावित गांवों के परिवारों के लिए मदद की घोषणा की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इससे प्रभावित बच्चों और परिवारों से मिलूंगा। पार्टी परिवारों को हर संभव मदद मुहैया कराएगी।’
जुलाई के मध्य से छह भेड़ियों के झुंड ने बहराइच के कई गांवों के निवासियों को आतंकित कर दिया था। बहराइच के महसी तहसील में घाघरा नदी के कछार में स्थित 50 गांवों के हजारों नागरिक भेड़ियों के हमलों से दहशत में हैं। भेड़ियों के हमलों से 17 जुलाई से अबतक सात बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब तीन दर्जन लोग भेड़िए अथवा अन्य जानवरों के हमलों से घायल हुए हैं।
भाषा चंदन जफर
राजकुमार
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