Bareilly News: जुमे की नमाज पढ़कर सीधे अपने घरों को जाएं…भीड़ का हिस्सा न बने, मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने की मुस्लिम युवाओं से अपील

Bareilly News: उन्होंने आगे कहा कि चौक व चौराहों पर भीड़ का हिस्सा न बने, अगर कोई व्यक्ति धरना प्रदर्शन के लिए या इकट्ठा होने के लिए बुलाता है तो हरगिज ना जाये।

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  • Publish Date - October 2, 2025 / 08:50 PM IST,
    Updated On - October 2, 2025 / 08:53 PM IST

Bareilly News ,image source: ibc24

HIGHLIGHTS
  • मस्जिदों में अमन व शांति बनाए रखने की अपील
  • चौक व चौराहों पर भीड़ का हिस्सा न बने
  • पैगम्बर ए इस्लाम ने टकराव की पोलिसी कभी भी नहीं अपनायी : मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी

बरेली: Bareilly News, उत्तर प्रदेश के बरेली से बड़ी खबर सामने आयी है। यहां पर जुमे से एक दिन पहले आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने मुस्लिम युवाओं से बड़ी ​अपील की है। प्रेस को जारी किये गये बयान में उन्होंने कहा कि पिछले जुमे के दिन जो घटना हुई वो बहुत अफसोसनाक है। कल फिर जुमे की नमाज अदा की जायेगी, मैं सभी मुसलमानों से अपील कर रहा हूं कि जुमे की नमाज पढ़कर सीधे अपने घरों को वापस हो जाएं।

चौक व चौराहों पर भीड़ का हिस्सा न बने

उन्होंने आगे कहा कि चौक व चौराहों पर भीड़ का हिस्सा न बने, अगर कोई व्यक्ति धरना प्रदर्शन के लिए या इकट्ठा होने के लिए बुलाता है तो हरगिज ना जाये। साथ ही मौलाना ने मस्जिद के इमामों से अपील करते हुए कहा कि कुछ मस्जिद के इमाम राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं, मगर अब उनको बखूबी सोचना होगा और ऐसे राजनीतिक लोगों से अपना रिश्ता नाता खत्म करना होगा।

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मस्जिदों में अमन व शांति बनाए रखने की अपील

उन्होंने कहा कि मेरी इमामों से गुजारिश है कि बरेली के सियासी हालात को देखते हुए अपनी अपनी मस्जिदों में अमन व शांति बनाए रखने की अपील करें और नौजवानों को समझाएं कि किसी के बहकावे व भड़कावे में न आएं और अगर कोई व्यक्ति या संगठन जमा होने के लिए कहीं बुलाता है तो न जाएं।

पैगम्बर ए इस्लाम ने टकराव की पोलिसी कभी भी नहीं अपनायी : मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी

मौलाना ने आगे कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम से मुहब्बत करना हमारा ईमान व अकीदा है, मगर उनकी शिक्षा पर अमल करना बेहद जरूरी है वही असल मुहब्बत का पैमाना है। पोस्टर व बैनर तो सिर्फ एक दिखावा है, इसको मुहब्बत नहीं कहा जा सकता। पैगम्बर ए इस्लाम ने टकराव की पोलिसी कभी भी नहीं अपनायी, बल्कि अपने विरोधियों से हमेशा समझौता किया और बातचीत से मसले का हल किया। इस्लाम के इतिहास में दो समझौते बहुत मशहूर है। जो ‘सुलह हुदैवीया’ और ‘मिसाके मदीना’ के नाम से जाना जाता है। मैं तमाम मुसलमानों से अमन व शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।

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