प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचने के लिए पर्यावरण अनुकूल आचरण अनिवार्य : योगी आदित्यनाथ |

प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचने के लिए पर्यावरण अनुकूल आचरण अनिवार्य : योगी आदित्यनाथ

प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचने के लिए पर्यावरण अनुकूल आचरण अनिवार्य : योगी आदित्यनाथ

:   Modified Date:  June 5, 2023 / 09:39 PM IST, Published Date : June 5, 2023/9:39 pm IST

गोरखपुर (उप्र), पांच जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सोमवार को पर्यावरण के प्रत्येक क्षेत्र में दिख रहे प्रदूषण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके घातक दुष्परिणामों से बचने के लिए हर व्यक्ति को पर्यावरण अनुकूल आचरण अनिवार्य रूप से करना होगा।

उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार अपने स्तर पर गंभीर प्रयास कर रही है।

योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में सोमवार को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से आयोजित ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित ‘रेस फॉर लाइफ : सर्कुलर इकॉनमी एवं लोकल क्लाइमेट एक्शन’ विषयक सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन की शुरुआत के साथ पर्यावरण संकट पर चिंता 51 वर्ष पूर्व से की जा रही है। उन्होंने कहा कि 51 वर्षों की आर्थिक विकास यात्रा में पर्यावरण कहां छूट गया, यह चिंतनीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का ध्येय वाक्य है- ”सॉल्यूशन फॉर प्लास्टिक पॉल्यूशन’’ (प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान)। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्लास्टिक को 2018 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि ‘एकल इस्तेमाल प्लास्टिक’ का उपयोग पाप के समान है क्योंकि फेंके गए प्लास्टिक को गाय खाकर मर जाती हैं तो गोमाता की हत्या का पाप लगता है। इसके अलावा कभी नष्ट न होने से यह प्लास्टिक धरती मां के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है।

उन्होंने कहा, ”पर्यावरण पृथ्वी, जल, वायु, पेड़-पौधे सबका समन्वित रूप है। हम सबकी रचना भी पंच तत्वों के इर्द गिर्द हुई है। हमारा जीवन चक्र व सृष्टि एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन हमने सृष्टि के तत्वों जल, वायु को प्रदूषित किया। इसका खामियाजा हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा इन बीमारियों के उपचार पर खर्च हो जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि ”पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करने का दुष्परिणाम प्रदेश के कुछ हिस्सों में सितंबर-अक्टूबर की असमय बाढ़ या दिल्ली में नवंबर-दिसंबर के स्मॉग के रूप में सामने है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में तो ऐसा संकट होता है कि लोगों को श्वास लेने, आंखें खोलने में दिक्कत होने लगती है और इसके कारण उद्योगों को बंद करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण से कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि से अन्न संकट भी खड़ा हो सकता है।

आदित्यनाथ ने कहा, ”कार्बन उत्सर्जन कम कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से सरकार पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए शहर ही नहीं गांवों में एलईडी लाइट की व्यवस्था की जा रही है। एलईडी कार्बन उत्सर्जन कम करने का माध्यम बन रहा है। इसी तरह सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।”

योगी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर परिसर में महायोगी गुरु गोरखनाथ गोसेवा में हरिशंकरी के पौधे रोपे। हरिशंकरी को पीपल, पाकड़ और बरगद के वृक्षों के संग्रह के रूप में जाना जाता है।

मुख्यमंत्री ने जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में चलाए जाने वाले वन महोत्सव की जानकारी भी साझा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 35 करोड़ पौधों का रोपण करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में कम से कम एक-एक हजार पौधारोपण होना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान योगी ने पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित वन विभाग की पुस्तिकाओं, फोल्डर व एनिमेशन फिल्म का विमोचन किया।

विश्व पर्यावरण दिवस समारोह में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि प्लास्टिक मुक्ति के इस आयोजन के ध्येय से सबको जुड़ना होगा।

पर्यावरण का पौराणिक महत्व बताते हुए सेक्सेना ने कहा कि हमारी संस्कृति नदियों, वृक्षों और वायु की पूजा करने की रही है। उन्होंने कहा कि यह सोचना होगा कि हम भावी पीढ़ी को कैसा जीवन देंगे।

भाषा सं आनन्द संतोष

संतोष

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