गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), तीन सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नवरात्रि की तैयारियां जोरों पर हैं, मूर्ति निर्माण कार्यशालाओं में चहल-पहल है और कारीगर पारंपरिक दुर्गा मूर्तियों को आधुनिक रूप देने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से बने डिजाइनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
गोरखनाथ मंदिर में 20 से ज्यादा कारीगर एआई का उपयोग करके मूर्तियां बनाने के लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं।
बी. पाल मूर्ति कार्यशाला के विशाल सिंह ने कहा कि इस साल मुख्य आकर्षण भगवान शिव की लहराती जटाओं वाली मूर्ति होगी, जिसके दोनों ओर दुर्गा के नौ रूप होंगे, जबकि दुर्गा की एक विशाल मूर्ति श्रृंगार के बाद भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देगी।
सिंह ने कहा कि मूर्तिकार विशालकाय राक्षसों की मूर्तियां भी बना रहे हैं, जिनमें ‘सिक्स-पैक एब्स’ वाली 12 फुट की आकृति और एआई-मॉडल वाले शेर शामिल हैं।
सिंह ने कहा कि एआई डिजाइन वाली मूर्तियों की मांग पारंपरिक शैली वाली मूर्तियों से ज्यादा है, न केवल गोरखपुर बल्कि पड़ोसी जिलों और नेपाल से भी ऑर्डर आ रहे हैं।
यह कार्यशाला आमतौर पर सालाना लगभग 100 मूर्तियां बनाती है, लेकिन इस सीज़न में पहले ही पिछले रिकॉर्ड तोड़ चुकी है।
सिंह ने बताया कि आकार और सजावट के आधार पर मूर्तियों की कीमत 10,000 रुपये से दो लाख रुपये के बीच है।
मूर्तियों के लिए मिट्टी आस-पास की नदियों से लाई जाती है, जबकि मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से आए कारीगर गोरखपुर में लगभग चार महीने बिताकर इन मूर्तियों को तैयार करते हैं।
भाषा सं जफर जोहेब
जोहेब