मेरी तबाहियों में मेरे अपने लोगों का बड़ा योगदान : आजम खान |

मेरी तबाहियों में मेरे अपने लोगों का बड़ा योगदान : आजम खान

मेरी तबाहियों में मेरे अपने लोगों का बड़ा योगदान : आजम खान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : May 20, 2022/9:11 pm IST

रामपुर (उप्र) 20 मई (भाषा) करीब 27 माह बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर शुक्रवार को रामपुर पहुंचे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने संवाददाताओं से दो-टूक लहजे में कहा कि उनकी तबाहियों में उनके अपनों का बड़ा योगदान है।

रामपुर में आजम ने कहा, ‘‘मेरी तबाहियों में मेरा अपना हाथ है, मेरे अपने लोगों का बड़ा योगदान है। मालिक से दुआ है कि उन्हें सदबुद्धि आये।”

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद शुक्रवार सुबह सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया। खान के बेटे एवं विधायक अब्दुल्ला आजम, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के नेता शिवपाल सिंह यादव सहित बड़ी संख्या में समर्थकों ने करीब 27 माह बाद जेल से बाहर आने पर आजम खान का स्वागत किया।

इसके बाद आजम खान लंबे काफिले के साथ रामपुर पहुंचे। रामपुर में शाम को पत्रकारों से बातचीत में आजम खान ने ‘सर्वोच्च अदालत की जय’ करते हुए अपनी बात की शुरुआत की। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता कपिल सिब्बल के लिए बहुत ही आदर भाव जताया।

आजम ने कहा ”कपिल सिब्बल साहब का शुक्रिया। शुक्रिया बहुत छोटा शब्द है, मेरे पास शब्द नहीं हैं कि मैं अपने प्रति उनके व्यवहार के लिए शुक्रिया अदा कर सकूं।”

आजम खान ने सर्वोच्च अदालत के बारे में कहा, ‘‘विधाता ने उन्हें जो ताकत दी है, उसने उसका बहुत ही ईमानदारी के साथ इस्तेमाल किया, और जब तक ऐसे न्यायाधीश हिंदुस्तान में बाकी हैं…सर्वोच्च अदालत जिंदाबाद।”

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार या सरकार की पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) को मुझसे इतनी घृणा क्यों है, आज तक वह यह नहीं समझ सके। उन्होंने कहा कि वह इसे जानने की कोशिश करेंगे।

उन्होंने कहा इस वक्त उनके लिए भाजपा, बसपा या कांग्रेस इसलिए बड़ा सवाल नहीं है, क्योंकि उनके परिवार पर हजारों की तादाद में मुकदमे दर्ज हैं।

इससे पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर उनकी (आजम की) लड़ाई में साथ न देने और यादव से मुसलमानों की नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘‘मेरी तबाहियों में मेरा अपना हाथ है।’’

खान ने सवालिया लहजे में पूछा कि मुझ पर मुकदमे कायम कराने वाले कौन लोग हैं, सबसे पहले आठ मुकदमे मेरे ऊपर हुए और उन लोगों ने कहा कि आजम खान ने जबरन मुझसे जमीन छीन ली। उन्होंने कहा कि जिन आठ लोगों ने दीवानी अदालत में मुझ पर मुकदमे किये उन आठों लोगों के भुगतान चेक से किये गये थे।

आजम ने कहा कि जो जमीन दो हजार रुपये बीघा की नहीं थी, उस वक्त उन्होंने एक बीघे के लिए 40 हजार रुपये दिये। सपा नेता ने कहा कि सारे लोग मुकदमे हार गये और हमसे लिए पैसे से लोगों ने हज किये, दो बीघा जमीन थी तो आठ बीघा जमीन खरीद लिए।

27 माह के संघर्ष में सपा की भूमिका को लेकर उठे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ”मैं खतावार मानता ही नहीं हूं तो माफ किसलिए करूं। मेरे लिए जिसने जितना किया उसका शुक्रिया, जिसने नहीं किया उसका भी शुक्रिया। किसने कितना किया, यह आपसे बेहतर कौन जान सकता है।”

जेल में सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा भेजे एक प्रतिनिधिमंडल से आजम खान द्वारा मुलाकात करने से मना कर दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि तब उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।

उल्लेखनीय है कि आजम खान ने पिछले दिनों जेल में प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव और कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम से मुलाकात की लेकिन सपा के वरिष्ठ विधायक रविदास मेहरोत्रा के नेतृत्व में गये प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात नहीं की थी।

खान ने दोहराया ”मैं उन तमाम लोगों का शुक्रगुजार हूं जो मुझसे जेल में मिले, उनका भी शुक्रगुजार हूं जिनसे नहीं मिल सका। उनका भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरे बारे में अच्छी राय बनाई।”

आजम खान ने जोर देकर कहा कि ”और मैं इसलिए शुक्रगुजार हूं कि मैं वो पहला बदनसीब शख्स हूं, जिसे पूरे चुनाव में माफिया की सूची में नंबर एक पर रखा गया, पहले मेरा नाम, बाद में मुख्तार अंसारी का नाम और फिर अतीक का नाम।”

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता चुनावी मंचों से कहते थे कि योगी की सरकार ने माफिया को जेल में भेज दिया है और अगर सपा की सरकार बनी तो सभी जेल से बाहर आ जाएंगे।

पत्रकारों से बातचीत में अत्यंत भावुक आजम खान ने कई घटनाएं गिनाई और कहा कि वह उस वक्त नहीं मरे जब उन्हें कोरोना हुआ था और वह अस्पताल में अकेले जिंदा बचे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे सामने सारी लाशें गईं, मेरे सामने वार्ड खाली होता था और फिर भर जाता था, मैं तब नहीं मरा, मेरे चाहने वालों ने बहुत कोशिश की, मैं फिर जिंदा बाहर आ गया। मैं समझता हूं कि मैंने जो शिक्षा का अभियान शुरू किया वह सदियों तक याद रहेगा।”

उप्र की विधानसभा में दसवीं बार के सदस्य आजम खान ने कहा कि ”मैंने अपनी सारी जिंदगी एक चीज साबित करने की कोशिश की कि मेरी निष्ठा संदिग्ध नहीं है, मैं जमीर बेचने वाला नहीं हूं, न मैं देश बेचने वाला हूं और न मैं कौम बेचने वाला हूं। ये मैंने आपातकाल के वक्त भी साबित कर दिया था।”

अपने संघर्षों की याद दिलाते हुए आजम खान ने कहा कि ”जब मैं अलीगढ़ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का महामंत्री था उसी वक्त इमरजेंसी (आपातकाल) लग गई थी, तब भी मैं जेल गया और दो वर्ष बनारस की जेल में रहा। जब जिंदगी की शुरुआत हुई थी तब भी जेल में था और अब जब जिंदगी अपने आखिरी दौर में है तब भी जेल में था।”

जेल की जिंदगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके साथ जो जेल में हुआ, वह उनके चेहरे पर नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि कच्ची दाल के पानी से रोटी खाने को मिलती थी।

खान ने कहा कि ”मैं 27—28 महीने एक ऐसी काल कोठरी में रहा जिसमें उन लोगों को बंद किया जाता था जिन्हें दो दिन बाद फांसी होती। मैं बिल्कुल अकेला रहता था।”

आजम खान ने कहा कि उन्होंने कभी अपने राजनीतिक आकाओं के जूते सीधे नहीं किये, क्योंकि सोने और चांदी के कंगन नहीं चाहिए थे।

आजम ने कहा कि जब ईडी वाले उनसे पूछताछ करने जेल में पांच दिन आये और पूछा कि विदेशों में आपकी कहां-कहां संपत्ति और बैंक खाते हैं, तो उन्होंने उनसे बस इतना कहा कि मुझे आपके सवालात पर गुस्सा नहीं आ रहा है, बल्कि इस बात पर शर्म आ रही है कि मैं कहां पैदा हो गया।’

उन्होंने जेल में एक दारोगा द्वारा की गई पूछताछ की चर्चा करते हुए कहा कि ”जब दारोगा जी हमारा बयान लेने जेल में आए तो कहा कि आपने बहुत अच्छा विश्वविद्यालय बनाया है, लेकिन आप जमानत मिलने के बाद रामपुर आएं तो कोशिश करिएगा कि भूमिगत रहें। आप पर इतने मुकदमे हैं कि आपका एनकाउंटर भी हो सकता है।”

खान ने कहा कि ”आज मुसलमानों को जो भी सजा मिल रही है, यह उनके ‘मतदान के अधिकार’ की सजा मिल रही है। उन्होंने कहा कि सारे राजनीतिक दल यह समझते हैं कि मुसलमान सियासी जमातों के समीकरण खराब कर देते हैं।

सपा नेता ने मुस्लिम धर्म से जुड़े प्रमुख शिक्षण संस्थानों का नाम लेते हुए कहा कि वह बरेली, नदवा, मुबारकपुर, देवबंद के लोगों से इस बात की चर्चा करेंगे कि कहीं ये वोट तो हमारी बर्बादी की वजह नहीं हैं।

भाषा आनन्द

संतोष

संतोष

 

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