गोरक्षा, संस्कृति और संस्कृत के लिए आगे आएं धार्मिक संस्थाएं: योगी आदित्यनाथ |

गोरक्षा, संस्कृति और संस्कृत के लिए आगे आएं धार्मिक संस्थाएं: योगी आदित्यनाथ

गोरक्षा, संस्कृति और संस्कृत के लिए आगे आएं धार्मिक संस्थाएं: योगी आदित्यनाथ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : September 23, 2021/7:27 pm IST

गोरखपुर, 23 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को सभी धार्मिक संस्थाओं से आह्वान किया कि वे गोरक्षा, संस्कृत व संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आएं और इसमें सरकार पूरा सहयोग करेगी। साथ ही कहा कि गोरक्षा केवल भाषणों से नहीं बल्कि श्रद्धा और व्यवस्था से जुड़ने से होगी।

उन्होंने भारत और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए हर देशवासी को तैयार रहने का भी संदेश दिया। मुख्यमंत्री महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं व ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित कर रहे थे।

गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ” हर धार्मिक पीठ संस्कृत विद्यालय खोले, सरकार इसमें हर संभव सहयोग करेगी। संस्कृत और संस्कृति को प्रोत्साहन हमारे आश्रमों को देना होगा। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए योग्यता के आधार पर शिक्षकों का चयन करना होगा। अयोग्य व्यक्ति संस्था को नष्ट कर देगा, ऐसे में योग्य को तराशने की जिम्मेदारी धर्माचार्यों व आश्रमों को लेनी होगी। इससे संस्कृत, संस्कृति की रक्षा के साथ गोरक्षा भी होगी।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि गोरक्षा के लिए सरकार तीन व्यवस्थाओं पर कार्य कर रही है। पहला निराश्रित गोवंश के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं, जिनमें वर्तमान में छह लाख गोवंश संरक्षित हैं। दूसरा सहभागिता योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति आश्रय स्थलों से चार गोवंश लेकर उन्हें पालता है तो प्रति गोवंश के लिए सरकार उसे प्रतिमाह 900 रुपये देती है, जबकि गाय का दूध व अन्य सभी उत्पाद उसी व्यक्ति के हिस्से में आता है। तीसरी व्यवस्था कुपोषित महिलाओं व बच्चों के लिए की गई है। इसमें भी संबंधित परिवार को एक गाय व उसके पालन के लिए प्रतिमाह 900 रुपये दिए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ” एक भी धार्मिक संस्था ने सरकार से गाय नहीं ली है। हमें यह समझना होगा कि धर्म की रक्षा तभी होगी जब हम उसके मूल और मूल्यों को जानेंगे। गोरक्षा भाषणों से नहीं बल्कि श्रद्धा और व्यवस्था से जुड़ने से होगी।”

भाषा सं जफर नेत्रपाल शफीक

 

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