दर्जी को कुर्ता-पजामा गलत तरीके से सिलना पड़ गया महंगा, उपभोक्ता आयोग ने सुनाई ऐसी सजा

Tailor's Punishment: दर्जी को कुर्ता-पजामा गलत तरीके से सिलना पड़ गया महंगा, the consumer commission sentenced such punishment

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  • Publish Date - September 7, 2022 / 09:38 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

The court sentenced the tailor to sew kurta-pajama wrongly

उत्तर प्रदेश। Tailor’s Punishment: आजकल लोग छोटी-छोटी बातों के बड़ा बनाने में लगे रहते है, वही हल्के में भी ले लेते है, लेकिन उसका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ता है। बहुत से लोग ऐसे होते है जिन्हे अपने दिए गए सही नाप के कपड़े सिलवाने ही पसंद होते हैं। लोग नाप देते तो है, लेंकिन कभी-कभी दर्जी गलती कर बैठता है और फिर कस्टमर को नाराज कर देता है। क्या ऐसा कभी आपके साथ हुआ है..? और ऐसा होने पर क्या आपने कभी अपने टेलर को सजा दी है।

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Tailor’s Punishment: दरअसल मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का है जहां एक दर्जी ने कुर्ता-पाजामा गलत तरीके सिल दिया। इस पर ग्राहक ने शिकायत की, जिसे उसने अनदेखा किया। इस घटना के बारे में ग्राहक ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत की और हर्जाना मांगा। बुलंदशहर में न्यायालय जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष ने सिलको टेलर एंड फेब्रिक पर गलत तरीके से कुर्ता-पाजामा सिलने के आरोप में 12 हजार रुपए का हर्जाना समेत सिलाई व कपड़ों की रकम देने का फैसला सुनाया।

आयोग ने हर्जाना भरने का दिया फैसला

Tailor’s Punishment: यदि यह रकम निर्धारित समयावधि में नहीं दी गई तो शिकायतकर्ता को सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। आयोग के अध्यक्ष पीए शेखर वर्मा ने इस मामले में बताया कि डीएम कॉलोनी निवासी एमपी सिंह ने करीब साढ़े चार साल पहले 4 मई 2018 को शहर के सिलको टेलर के मालिक को कुर्ता-पाजामा सिलाने के लिए कपड़े दिए थे। एक हफ्ते बाद 13 मई को दुकानदार ने कपड़े सिलकर दे दिये। गलत सिलाई पर ग्राहक ने शिकायत की, लेकिन टेलर ने अनसुना कर दिया। इसके बाद ग्राहक अपनी फरियाद लेकर कोर्ट पहुंचा। नोटिस जारी करने के बाद भी टेलर प्रतिनिधि आयोग के सामने पेश नहीं हुए।

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Tailor’s Punishment: आयोग के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह ने सदस्यों के साथ शिकायतकर्ता का पक्ष सुनकर फैसला किया है। आयोग ने दो महीने के भीतर सिलको टेलर को कपड़ों की सिलाई के 750 रुपये व कपड़ों की कीमत 1500 रुपये देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 5000 रुपये व वाद व्यय की धनराशि 5000 रुपये निर्धारित समय में देने का आदेश दिया है। अगर निर्धारित समय पर पैसे नहीं दिए तो उसका ब्याज देना होगा।

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