जनवरी में शुरू होगी उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना

जनवरी में शुरू होगी उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना

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  • Publish Date - December 13, 2025 / 08:02 PM IST,
    Updated On - December 13, 2025 / 08:02 PM IST

लखनऊ, 13 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार अगले महीने स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना की शुरुआत करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका उद्घाटन करेंगे।

राज्य सरकार द्वारा शनिवार को यहां जारी एक बयान के मुताबिक प्रदेश में वायु प्रदूषण की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनवरी माह में उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना (यूपीसीएएमपी) की शुरुआत करेंगे।

बयान के अनुसार इस परियोजना के शासी निकाय की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव करेंगे जबकि प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव सदस्य के रूप में नामित होंगे।

अधिकारियों के मुताबिक वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के उद्देश्य से प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार विश्व बैंक के सहयोग से यूपीसीएएमपी परियोजना का कार्यान्वयन कर रही है।

इसी क्रम में हाल ही में यूपीसीएएमपी प्राधिकरण के शासी निकाय की दूसरी बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

उन्होंने बताया कि बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि परियोजना के कार्यान्वयन से जुड़े सभी आवश्यक कदमों की समयबद्ध प्रगति की अद्यतन जानकारी आगामी बैठक में प्रस्तुत की जाए।

बयान के मुताबिक इस परियोजना को लेकर तीन नवंबर को नयी दिल्ली में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), विश्व बैंक और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच परियोजना वार्ता सफलतापूर्वक संपन्न हुई थी। इसके बाद 10 दिसंबर 2025 को विश्व बैंक के निदेशक मंडल द्वारा परियोजना को औपचारिक मंजूरी प्रदान की गई।

बयान के मुताबिक यूपीसीएएमपी भारत की अपनी तरह की पहली वायुक्षेत्र-आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन परियोजना है, जिसे सिंधु-गंगा के मैदानों में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों को लक्षित करते हुए एक बहु-क्षेत्रीय कार्यक्रम के रूप में विकसित किया गया है।

अधिकारियों के मुताबिक यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर, आईआईटी- दिल्ली और नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर एयर रिसर्च (एनआईएलयू) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग से किए गए व्यापक वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित है। इसमें ऑस्ट्रिया के आईआईएएसए द्वारा विकसित गेन्स मॉडल का उपयोग किया गया है।

उन्होंने बताया कि यूपीसीएएमपी पर कुल 304.66 मिलियन डॉलर खर्च होंगे, जिसमें 29.96 करोड़ डॉलर का ऋण (लगभग 46,188 करोड़ येन के बराबर) और 50 लाख डॉलर का अनुदान शामिल है। इस परियोजना को वर्ष 2025 से 2031 तक छह वर्षों की अवधि में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

यह परियोजना उद्योग, परिवहन, कृषि, सड़क की धूल, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छ खाना पकाने जैसे प्राथमिक क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिससे उत्सर्जन में कमी के लिए एक समन्वित और प्रभावी रणनीति अपनाई जा सके। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य वायुक्षेत्र आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन को सुदृढ़ करना और विभिन्न क्षेत्रों में उत्सर्जन को कम करना है।

बयान के मुताबिक इस योजना के तहत लगभग 39 लाख परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के समाधान उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में 15,000 इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 500 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा दिया जाएगा, जबकि 13,500 प्रदूषणकारी भारी वाहनों के प्रतिस्थापन के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।

भाषा

सलीम रवि कांत