9/11 हमले के बीस साल गुजर जाने के बाद भी बीमार पड़ रहे, मर रहे हैं बचावकर्मी

9/11 हमले के बीस साल गुजर जाने के बाद भी बीमार पड़ रहे, मर रहे हैं बचावकर्मी

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  • Publish Date - September 9, 2021 / 02:59 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:00 PM IST

( एरिन स्मिथ, ब्रिगिड लारकिन और लीजा होम्स, एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी)

जूनडलूप (ऑस्ट्रेलिया), नौ सितंबर (द कन्वरसेशन) आपातकालीन परिस्थितियों में काम करने वाले कर्मचारी और सफाई कर्मचारी 9/11 के राहत एवं बचावकर्मियों में शामिल हैं जो आतंकवादी हमलों के 20 साल गुजर जाने के बाद भी स्वास्थ्य की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

बचाव, बरआमदगी और सफाई कार्यों के दौरान 91,000 से अधिक कर्मियों और स्वयंसेवकों को कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ा था। 21 मार्च, 2021 तक करीब 80,785 बचावकर्मियों ने विश्व व्यापार केंद्र स्वास्थ्य कार्यक्रम में नामांकन कराया था जिसकी स्थापना हमलों के बाद उनके स्वास्थ्य की निगरानी करने और उनके इलाज के लिए की गई थी।

अब हमारा प्रकाशित शोध, जो इन स्वास्थ्य रिकॉर्डों की जांच पर आधारित है, दिखाता है कि बचाव कर्मियों को अब भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सांस लेने में तकलीफ, कैंसर, मानसिक रोग जैसी समस्याएं

हमने पाया कि स्वास्थ्य कार्यक्रम में 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं को श्वसन-पाचन रोग (ऐसी स्थितियां जो सांस लेने-छोड़ने के अंगों और ऊपरी पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं) हैं। कुल 16 प्रतिशत को कैंसर है और अन्य 16 प्रतिशत को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारी है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले उत्तरदाताओं में से केवल 40 प्रतिशत की उम्र 45 से 64 के बीच है और 83 प्रतिशत पुरुष हैं।

हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि स्वास्थ्य कार्यक्रम में नामांकित 3,439 उत्तरदाता अब मर चुके हैं जो हमलों के दिन मारे गए 412 पहले उत्तरदाताओं की तुलना में कहीं अधिक है।

श्वसन और ऊपरी पाचन तंत्र के विकार मौत का सबसे पहला कारण (34 प्रतिशत) है। इसके बाद कैंसर (30 प्रतिशत) और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं (15 प्रतिशत) हैं।

इन तीन कारणों के साथ-साथ मस्कुलोस्केलेटल (मांसपेशियों, जोड़ों, नसों, कोशिकाओं आदि में दर्द) और तीव्र दर्दनाक चोटों के कारण होने वाली मौतों में 2016 की शुरुआत से छह गुना वृद्धि हुई है।

एक जारी लड़ाई

उभरती स्वास्थ्य समस्याओं के साथ स्वास्थ्य कार्यक्रम में नामांकन करने वाले उत्तरदाताओं की संख्या हर साल बढ़ रही है। पिछले पांच वर्षों में 16,000 से अधिक उत्तरदाताओं ने नामांकन कराया है। पिछले पांच वर्षों में कैंसर 185 प्रतिशत बढ़ा है, विशेष रूप से ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) आम समस्या के रूप में उभर रहा है, जो मलाशय एवं मूत्राशय के कैंसर से आगे निकल गया है।

प्रोस्टेट कैंसर भी आम है जो 2016 से 181 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थल पर जहरीली धूल को अंदर लेने से कोशिका संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ी हो सकती हैं, जिससे कुछ उत्तरदाताओं में सूजन करने वाली टी-कोशिकाओं (एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका) की संख्या बढ़ जाती है। यह बढ़ी हुई सूजन अंततः प्रोस्टेट कैंसर का कारण बन सकती है।

इसके अलावा वहां बहुत समय तक मौजूद रहने और दीर्घकालिक दिल संबंधी बीमारियों के बीच भी अहम संबंध हो सकता है।

हमलों की सुबह वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पहुंचने वाले दमकलकर्मियों में अगले दिन आने वालों की तुलना में हृदय रोग विकसित होने की संभावना 44 प्रतिशत अधिक है।

मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव

लगभग 15-20 प्रतिशत उत्तरदाताओं के पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) लक्षणों के साथ जीने का अनुमान है जो सामान्य आबादी में नजर आने वाली दर से लगभग चार गुना है।

बीस साल बीत जाने के बावजूद, उत्तरदाताओं के लिए पीटीएसडी एक बढ़ती हुई समस्या है। सभी उत्तरदाताओं में से लगभग आधे लोगों का कहना है कि उन्हें पीटीएसडी, चिंता, अवसाद और जिंदा बचे रहने के अपराध बोध सहित मानसिक स्वास्थ्य की कई समस्याओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की लगातार आवश्यकता है।

कोविड-19 और अन्य उभरते खतरे

बचाव कर्मियों की अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे कैंसर और श्वसन संबंधी बीमारियों ने भी उन्हें कोविड-19 होने का खतरा बढ़ा दिया है। अगस्त 2020 के अंत तक, कुछ 1,172 बचावकर्मियों में कोविड-19 की पुष्टि हुई थी।

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में एस्बेस्टस के संपर्क में आने पर हुए कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या आने वाले वर्षों में बढ़ने की आशंका है।

सीखे गए सबक

राहत एवं बचाव कर्मियों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी एक प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए, विशेष रूप से एस्बेस्टस से संबंधित नये कैंसर के बढ़ते खतरे को देखते हुए।

द कन्वरसेशन

नेहा शाहिद

शाहिद