भारतीय मेनेसा यहूदी समुदाय के 252 सदस्य इज़राइल में बसेरा पाने पहुंचे

भारतीय मेनेसा यहूदी समुदाय के 252 सदस्य इज़राइल में बसेरा पाने पहुंचे

  •  
  • Publish Date - December 15, 2020 / 01:48 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:06 PM IST

तेल अवीव, 15 दिसंबर (भाषा) भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बसे मेनेसा यहूदी समुदाय के बच्चों और बुजुर्गों सहित कुल 252 सदस्य इ़जराइल में अपनी नई जिंदगी शुरू करने के लक्ष्य से मंगलवार को बेन-गुरियों हवाईअड्डा पहुंचे।

इनमें 50 परिवार, 24 अविवाहित, दो साल से कम उम्र के चार शिशु और 62 साल से ज्यादा उम्र के 19 वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं। इज़राइल सरकार ने अक्टूबर, 2020 में इनके आव्रजन को औपचारिक मंजूरी दी थी।

हवाईअड्डे पर उतरने के बाद सभी लोग आव्रजन प्रक्रिया से गुजरे। हवाईअड्डे पर मौजूद मेनेसा यहूदी समुदाय के एक सदस्य ने पीटीआई से कहा, ‘‘करीब 90 प्रतिशत ने अपनी आव्रजन प्रक्रिया पूरी कर ली है और जल्दी ही सभी को नेतान्या के निकट स्थित नोरदिया मोशाव के शावेई इज़राइल केन्द्र ले जाया जाएगा।’’

शावेई इज़राइल एक गैर-सरकारी संगठन है जो इज़राइल वापस आकर बसने के इच्छुक यहूदियों के लिए अभियान चला रहा है।

उन्होंने बताया, ‘‘वे अपनी पृथक-वास की अवधि मोशाव में पूरी करेंगे और तीन महीने लंबी औपचारिक प्रक्रिया के दौरान वह यही रहेंगे। इस दौरान सभी हिब्रू भाषा सीखेंगे। प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी के नजारेथ इलित इलाके में बसने की संभावना है।’’

इज़राइल के आव्रजन और एब्जॉर्प्शन मंत्रालय का कहना है कि 2003 से अभी तक भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर और मिजोरम से मेनेसा यहूदी समुदाय के करीब 2,437 लोग आव्रजन के बाद इज़राइल आकर बस गए हैं।

मेनेसा आदिवासी समुदाय के यहूदी होने को लेकर गंभीर विवाद की स्थिति थी, लेकिन 2005 में शेपरदी समुदाय के तत्कालीन मुख्य राब्बी शलोमो अमार ने उन्हें इज़राइली समुदाय का वंशज माना। इसके बाद मेनेसा समुदाय के लोगों की इज़राइल वापसी का रास्ता साफ हो गया।

समुदाय का दावा है कि वे इ़जराइल के मेनेसा आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। मेनेसा उन 10 आदिवासी समुदायों में से एक है जिन्हें करीब 2700 साल पहले असीरियाइयों ने अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया था।

भाषा अर्पणा मनीषा

मनीषा