कोलंबो, छह दिसंबर (भाषा) श्रीलंका के प्रमुख कारोबारियों को भारतीय उच्चायुक्त ने चक्रवात प्रभावित द्वीपीय देश के प्रति नयी दिल्ली की ‘‘प्रतिक्रिया और निरंतर प्रतिबद्धता’’ के बारे में शनिवार को जानकारी दी।
भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने ‘रीबिल्डिंग श्रीलंका फंड’ से जुड़े श्रीलंकाई उद्योग जगत के प्रमुख लोगों से मुलाकात की।
इस आपदा के कारण शनिवार दोपहर तक 611 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारतीय उच्चायोग ने एक पोस्ट में कहा कि उद्योग जगत के प्रमुख लोगों के साथ अपनी बैठक के दौरान, झा ने ‘‘पुनर्वास और आपदा से उबरने के लिए आगे की राह’’ पर चर्चा की।
उन्होंने उन्हें ‘‘भारत की प्रतिक्रिया और इस संकट से उबरने में श्रीलंका के साथ खड़े रहने की निरंतर प्रतिबद्धता’’ से अवगत कराया।
‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत सहायता के लिए, श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय अपील पर प्रतिक्रिया करने वाला भारत पहला देश है।
यहां भारतीय उच्चायोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उसकी मानवीय सहायता में आपातकालीन प्रतिक्रिया और निरंतर चिकित्सा देखभाल, दोनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
‘ऑपरेशन सागर बंधु’ की 28 नवंबर को शुरुआत होने के बाद से, भारत ने श्रीलंका को 58 टन से ज़्यादा राहत सामग्री उपलब्ध कराई है, जिसमें राशन, तंबू, तिरपाल, स्वच्छता किट, जल शोधन किट और लगभग 4.5 टन दवाइयां और सर्जिकल उपकरण शामिल हैं।
जनरेटर, बचाव नौकाएं और आउटबोर्ड मोटर्स सहित 50 टन उपकरण और उपलब्ध कराए गए हैं और महत्वपूर्ण संपर्क बहाल करने के लिए 31 इंजीनियरों के साथ 130 टन बेली ब्रिज इकाइयां हवाई मार्ग से पहुंचाई गई हैं।
शनिवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 300 मीट्रिक टन चावल समेत 950 टन आवश्यक सामग्री लदे एक जहाज को रवाना किया।
श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय के अनुसार, चेन्नई स्थित श्रीलंकाई उप-उच्चायोग के अनुरोध पर, यह जहाज चक्रवात प्रभावित लोगों के बीच वितरित करने के लिए कपड़े और भोजन लेकर आ रहा है।
विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने कहा, ‘‘भारत प्रतिक्रिया देने वाला पहला देश है। भारत ने हेलीकॉप्टर और बचाव दल भेजे। उन्होंने बहुत जल्दी भोजन और दवाइयां भेजीं।’’
आईएनएस विक्रांत, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस सुकन्या ने श्रीलंका को तत्काल बचाव और राहत सहायता प्रदान की।
इसके अलावा, श्रीलंका में फंसे लगभग 2,500 भारतीयों को भी निकाला गया।
शुक्रवार को स्वदेश लौटे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के दलों ने श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया और व्यापक खोज, बचाव और राहत अभियान चलाया।
भाषा सुभाष देवेंद्र
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