Israeli Airstrike: इजरायली हमले में हूती प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत, सना में कई जगहों पर की एयर स्ट्राइक, रक्षा मंत्री और सैन्य प्रमुख के भी मारे जाने की आशंका

इजरायली हमले में हूती प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत, Houthi Prime Minister Ahmed al-Rahwi killed in Israeli attack

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  • Publish Date - August 30, 2025 / 09:31 PM IST,
    Updated On - August 30, 2025 / 09:31 PM IST

Israeli Airstrike. Image Source- IBC24 Archive

सना। Israeli Airstrike: यमन की राजधानी सना में इजरायली वायुसेना द्वारा किए गए एक हवाई हमले में हूती सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत हो गई है। यह जानकारी हूती विद्रोही समूह ने शनिवार को एक आधिकारिक बयान में दी। बयान के अनुसार, यह हमला गुरुवार को उस समय हुआ जब अल-रहावी सरकार के प्रदर्शन की वार्षिक समीक्षा के लिए आयोजित एक वर्कशॉप में अन्य मंत्रियों के साथ शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, हमले के दौरान यमन के हूती रक्षा मंत्री मोहम्मद अल-अती और सैन्य प्रमुख मोहम्मद अब्द अल-करीम अल-घमारी भी मौजूद थे। इन दोनों के भी मारे जाने की आशंका है, हालांकि हूती समूह ने अब तक इनकी मौत की औपचारिक पुष्टि नहीं की है।

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इजरायल ने सैन्य ठिकानों को बनाया निशाना

Israeli Airstrike: यह हमला ऐसे समय हुआ है जब इजरायल और गाजा के बीच चल रहे संघर्ष में हूती विद्रोही लगातार फिलिस्तीन का समर्थन कर रहे हैं। 28 अगस्त को ईरान समर्थित हूती समूह ने यमन से इजरायल की ओर मिसाइलें और ड्रोन दागे थे। इसके जवाब में इजरायली वायुसेना ने सना में हूती नियंत्रित सैन्य ठिकानों और राष्ट्रपति भवन पर हवाई हमले किए। इन हमलों में कम से कम 10 हूती कमांडर और लड़ाकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जबकि 90 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, इजरायली हमले अत्यधिक सटीकता के साथ किए गए थे, जिनका उद्देश्य हूती सैन्य नेतृत्व को कमजोर करना था।

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हूती कौन हैं और उनका मकसद क्या है?

हूती, जिसे अंसार अल्लाह (अल्लाह के समर्थक) के नाम से भी जाना जाता है, यमन में सक्रिय एक शिया जैदी मुस्लिम (यमन की आबादी में लगभग 35% शिया और 60% सुन्नी हैं) विद्रोही समूह है। इस समूह का उदय 1990 के दशक में उत्तरी यमन के सादा प्रांत में हुआ। इस समूह का नाम इसके संस्थापक हुसैन बदरुद्दीन अल-हूती के नाम पर पड़ा, जिसने 2004 में यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के शासन के खिलाफ भ्रष्टाचार और सऊदी अरब व अमेरिका के समर्थन का आरोप लगाकर आंदोलन शुरू किया और उसी साल यमनी सेना द्वारा मारा गया। अब इस समूह का नेतृत्व अब्दुल मलिक अल-हूती कर रहा है। हूती यमन में शिया समुदाय के अधिकारों की रक्षा, सुन्नी सलाफी विचारधारा के विस्तार का विरोध और स्वतंत्र शासन स्थापित करने की मांग करते हैं। वे एक लोकतांत्रिक, गैर-सांप्रदायिक गणराज्य का समर्थन करने का दावा भी करते हैं। 2014 में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना और देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद यमन में गृहयुद्ध शुरू हुआ। वे लाल सागर के तटीय इलाकों पर नियंत्रण रखते हैं और वहां से गुजरने वाले वाणिज्यिक जहाजों पर हमले करते हैं।