जांचकर्ताओं ने म्यांमा के हिरासत केंद्रों में यातना व यौन अपराधों का आरोप लगाया

जांचकर्ताओं ने म्यांमा के हिरासत केंद्रों में यातना व यौन अपराधों का आरोप लगाया

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  • Publish Date - August 12, 2025 / 04:13 PM IST,
    Updated On - August 12, 2025 / 04:13 PM IST

जिनेवा, 12 अगस्त (एपी) संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक जांचकर्ता का कहना है कि उनकी टीम ने म्यांमा के हिरासत केंद्रों में कैदियों को बिजली के झटके देने, गला घोंटने, सामूहिक बलात्कार और निजी अंगों को जलाने सहित ‘व्यवस्थित यातना’ के महत्वपूर्ण सबूत जुटाए हैं। यह घटनाएं पिछले साल हुई थीं।

निकोलस कौमजियान के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र टीम ने मंगलवार को अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट जारी की। वह रिपोर्ट को जारी करने के अवसर पर अपनी बात रख रहे थे।

फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार का तख्ता पलटने और गृहयुद्ध शुरू हो जाने के बाद से म्यांमा में उथल-पुथल जारी है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को बल से कुचल दिए जाने के बाद, सैन्य शासन के कई विरोधियों ने हथियार उठा लिए, और देश का बड़ा हिस्सा अब संघर्ष में उलझा हुआ है।

टीम ने कहा कि उसने हिरासत केंद्रों में कार्रवाई में शामिल सुरक्षाकर्मियों और “उन अपराधियों की पहचान करने में प्रगति हासिल की है, जिन्होंने पकड़े गए लड़ाकों या मुखबिर होने के आरोप में आम नागरिकों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया है।”

रिपोर्ट के निष्कर्षों में कहा गया है कि इसमें म्यांमा के हिरासत केंद्रों में यातनाओं का विवरण दिया गया है, जिसमें कैदियों के साथ मारपीट, बिजली के झटके देने, गला घोंटने, सामूहिक बलात्कार, निजी अंगों को जलाना और यौन हिंसा के अन्य रूप शामिल हैं।

कौमजियान ने कहा, ‘हमारी रिपोर्ट म्यांमा में अत्याचारों और क्रूरता में निरंतर वृद्धि को उजागर करती है। हम उस दिन के लिए काम कर रहे हैं जब अपराधियों को अदालत में अपने कृत्यों का जवाब देना होगा।’

उन्होंने कहा, ‘हमने प्रत्यक्षदर्शियों के बयान सहित महत्वपूर्ण साक्ष्य उजागर किए हैं, जो म्यांमा के हिरासत केंद्रों में व्यवस्थित यातना को दर्शाते हैं।’

उनकी टीम ने रखाइन राज्य में समुदायों के खिलाफ किए गए अत्याचारों की नई जांच शुरू की है। सेना और विपक्षी बल, ‘अराकान आर्मी’ इस क्षेत्र पर नियंत्रण के लिए लड़ाई करते हैं।

म्यांमा में उत्पीड़न से बचने के लिए 2017 में सात लाख से ज़्यादा रोहिंग्या अल्पसंख्यक पड़ोसी बांग्लादेश भाग गए। पिछले साल जब अराकान आर्मी ने रखाइन पर कब्ज़ा किया, तो लगभग 70,000 अन्य लोग सीमा पार कर गए।

एपी नोमान नरेश

नरेश