शेरपा ने वैश्विक महामारी के दौरान अपने समुदाय की मदद के लिए बचत का किया इस्तेमाल

शेरपा ने वैश्विक महामारी के दौरान अपने समुदाय की मदद के लिए बचत का किया इस्तेमाल

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  • Publish Date - June 15, 2021 / 06:54 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

काठमांडू, 15 जून (एपी) नेपाल के खूबसूरत हिमालयी पर्वत हमेशा से विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र रहे हैं लेकिन ये कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण एक साल से अधिक समय से सुनसान पड़े हैं, जिसके कारण लाखों शेरपा गाइड की आजीविका प्रभावित हुई है।

इस मुश्किल घड़ी में मानवता की मिसाल पेश करते हुए आंग पूर्बा शेरपा अपने साथियों की मदद करने के लिए आगे आए हैं और अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं। वह अपनी बचत से खरीदा गया चावल, दाल, खाना पकाने का तेल और अन्य आवश्यक सामग्री काठमांडू में दर्जनों परिवारों को मुहैया करा रहे हैं।

शेरपा ने कहा, ‘‘मैं हर प्रकार की मदद करने की कोशिश कर रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता कि हमें हमारे समुदाय के लिए कुछ करना चाहिए।’

नेपाल में बसंत और पतझड़ ऋतु में हर साल बड़ी संख्या में पर्वतारोही आते हैं। वर्ष 2019 में करीब 1,71,000 सैलानी पर्वतारोहण के लिए आए थे, लेकिन 2020 में और इस साल बमुश्किल ही कोई आया है।

नेपाल को मार्च में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था, लेकिन यहां आने वाले विदेशियों की संख्या बहुत कम है।

शेरपा ने कहा, ‘‘गाइड कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं और वे कई तरह की परेशानियों से गुजर रहे हैं। मैं भी मुश्किल स्थिति में हूं, लेकिन मैं अपने समुदाय के लोगों की मदद करना चाहता हूं और उम्मीद करता हूं कि समुदाय के अन्य लोग भी एक दूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे।’’

शेरपा की मदद पाने वाले कुंजुन लामा ने कहा कि उसके परिवार में छह सदस्य हैं, जिनका पेट भरने के लिए वह संघर्ष कर रहा है और ऐसे में शेरपा से मिले अनाज एवं तेल के कारण करीब एक माह तक उसका परिवार भोजन कर सकेगा।

शेरपा पिछले तीन महीने से यह मदद मुहैया करा रहा है। वह अपने साथियों की मदद करने के अलावा 57 दिव्यांग बच्चों के आश्रय स्थलों में भी राशन पहुंचा रहा है।

आश्रय स्थल के संचालक डेंडी शेरपा ने कहा कि उनके केंद्र की आमदनी का मुख्य स्रोत गाइड के काम से होने वाली उनकी अपनी आय थी, लेकिन अब सैलानियों का आना बंद हो जाने के कारण उनके लिए आश्रय स्थल का संचालन मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार की मदद से हम बच्चों को भोजन मुहैया करा पाएंगे।’’

एपी

सिम्मी मनीषा

मनीषा