श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने भारत के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर दिया जोर

श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने भारत के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर दिया जोर

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  • Publish Date - August 18, 2024 / 05:27 PM IST,
    Updated On - August 18, 2024 / 05:27 PM IST

कोलंबो, 18 अगस्त (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आर्थिक संकट से उबर रहे अपने देश के भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ बनाने पर जोर दिया है।

विक्रमसिंघे ने शनिवार को उत्तर-मध्य शहर अनुराधापुरा से ‘‘सतत भविष्य के लिए सशक्त ग्लोबल साउथ’’ विषय पर आयोजित तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन के राष्ट्राध्यक्ष सत्र को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कही।

‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया। भारत-श्रीलंका संबंधों पर विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने दोनों देशों के बीच साझा किए गए दृष्टिकोण वक्तव्य पर जोर दिया।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस दृष्टिकोण से विभिन्न क्षेत्रों में श्रीलंका और भारत के बीच मजबूत एकीकरण होगा। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने एशिया में आर्थिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) के माध्यम से श्रीलंका की रणनीतिक प्रतिबद्धता का उल्लेख किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाल की खाड़ी क्षेत्र आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में उभर रहा है, इसलिए बिम्सटेक का महत्व लगातार बढ़ रहा है।

राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि श्रीलंका भारत के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंध बनाना चाहता है और जापान से भारत तक आर्थिक सहयोग समझौतों की संभावना तलाश रहा है।

विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के हालिया आर्थिक संकट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लोगों के समर्थन के लिए भी आभार व्यक्त किया।

राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि भारत की सहायता ने पिछले दो वर्षों की चुनौतियों से निपटने और दिवालियापन की स्थिति से बाहर निकलने में श्रीलंका की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां पश्चिम अब वैश्विक नेतृत्व पर हावी नहीं रह सकता और इसके अलावा, वह समस्या का हिस्सा बन गया है। यूक्रेन और गाजा इसके प्रमुख उदाहरण हैं, जिन पर मैं बात नहीं करूंगा क्योंकि उन पर पिछले वक्ताओं द्वारा पहले ही चर्चा की जा चुकी है। इस संदर्भ में, हमें ‘ग्लोबल साउथ’ को मजबूत करने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए।’’

भाषा आशीष देवेंद्र

देवेंद्र