तीस साल पहले गोर्बाचेव ने इस्तीफा देकर सोवियत संघ के पतन की घोषणा की थी

तीस साल पहले गोर्बाचेव ने इस्तीफा देकर सोवियत संघ के पतन की घोषणा की थी

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  • Publish Date - December 25, 2021 / 04:53 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

मास्को, 25 दिसंबर (एपी) मास्को में बर्फ से ढके रेड स्क्वायर पर 25 दिसंबर 1991 की शाम को टहल रहे लोग बीसवीं शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों को देखकर आश्चर्यचकित थे जब क्रेमलिन से सोवियत लाल ध्वज उतारा गया और उसके स्थान पर ‘रूसी महासंघ’ का तीन रंगों वाला झंडा फहराया गया। इसके कुछ ही देर बाद सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने टीवी पर प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इस्तीफे की घोषणा की। उसके साथ ही 74 साल पुराने सोवियत इतिहास का समापन हो गया।

गोर्बाचेव (90) ने अपने संस्मरणों में सोवियत गणराज्य के पतन को रोकने में विफल रहने पर अफसोस जताया। इस घटना से विश्व के शक्ति संतुलन में बदलाव हुआ तथा रूस और यूक्रेन के बीच जारी गतिरोध के बीज भी पड़े। गोर्बाचेव ने लिखा, “मुझे आज भी इसका दुख है कि मैं अपने पोत को शांत समुद्र तक नहीं ला सका और देश में सुधार पूरा करने में विफल रहा।”

राजनीतिक विश्लेषकों के लिए आज भी यह बहस का विषय है कि गोर्बाचेव अपने पद पर कायम रहते हुए सोवियत संघ को बचा सकते थे या नहीं। कुछ लोगों का मानना है कि 1985 में सत्ता में आए गोर्बाचेव ने यदि राजनीतिक प्रणाली पर लगाम रखते हुए, सरकार के नियंत्रण वाली अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने के प्रयास और दृढ़ता से किये होते तो सोवियत रूस का विघटन रोका जा सकता था।

मास्को कार्नेगी सेंटर के निदेशक दिमित्री त्रेनिन ने द एसोसिएटेड प्रेस से कहा, “सोवियत संघ का पतन इतिहास में ऐसे मौकों के से एक था जिन्हें तब तक अकल्पनीय माना जाता था जब कि वे अपरिहार्य नहीं हो गए।” उन्होंने कहा, “सोवियत संघ कब तक जीवित रहता पता नहीं, लेकिन उसका पतन उस समय नहीं होना था जब यह हुआ।”

रूस, बेलारूस और यूक्रेन के नेताओं ने जब सोवियत संघ के पतन की घोषणा की तब उन्होंने इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा कि चालीस लाख सैनिकों वाली सोवियत सेना और उसके ढेर सारे नाभिकीय हथियारों का क्या होगा। सोवियत संघ के पतन के बाद, अमेरिका के नेतृत्व में कई वर्षों तक कूटनीतिक प्रयास किये गए जिसके फलस्वरूप यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान ने अपने क्षेत्र में छोड़े गए सोवियत संघ के जमाने के नाभिकीय हथियार रूस को वापस किये। यह प्रक्रिया 1996 में पूरी हुई।

गोर्बाचेव के सहयोगी रहे पावेल पालचेंको ने एपी से कहा, “गणराज्यों के जिन नेताओं ने दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के पतन की घोषणा की, उन्होंने इसके नतीजे के बारे में नहीं सोचा कि वह क्या कर रहे हैं।”

रूस पर दो दशकों से शासन कर रहे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोवियत पतन को “बीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा भूराजनैतिक विनाश” करार दिया था।

सरकारी टेलीविजन चैनल पर इस महीने प्रदर्शित किये गए एक चलचित्र में पुतिन ने कहा, “सोवियत संघ का विघटन ऐतिहासिक रूस का पतन था। हमने 40 प्रतिशत भूमि, उत्पादन क्षमता और जनसंख्या से हाथ धो बैठे। हम एक भिन्न देश बन गए। एक सहस्राब्दी से अधिक समय में जो बनाया गया था बहुत हद तक वह सब चला गया।”

एपी यश शाहिद

शाहिद