Donald Trump:`देखते हैं क्या होता है’ ट्रंप ने हमास को दिया 72 घंटे की वार्निंग, ठुकराया तो होगा भारी अंजाम!

Hamas को 72 घंटे के भीतर सभी बंधकों को रिहा करना होगा, और अगर वो इस शांति प्रस्ताव को ठुकराए, तो एक ‘दुखद अंत’ इंतजार कर रहा है।

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  • Publish Date - October 1, 2025 / 09:57 AM IST,
    Updated On - October 1, 2025 / 10:04 AM IST

Image Source: The New Yorker

HIGHLIGHTS
  • राष्ट्रपति ट्रंप ने हमास को सख्त चेतावनी दी है कि।
  • ट्रम्प ने एक विस्तृत 20‑बिंदु शांति प्रस्ताव पेश किया है।
  • इस योजना को इज़राइल, मिस्र, कतर और सऊदी अरब समेत कई देशों ने समर्थन दिया है।

Donald Trump: व्हाइट हाउस से आया एक ऐसा सख्त संदेश, जिसने मध्य पूर्व में हलचल मचा दी है 72 घंटे की डेडलाइन तय कर दी गई है। ट्रंप की शांति योजना को कुछ देश समर्थन दे रहे हैं, तो कुछ आशंकित हैं। इस रणनीतिक कदम के पीछे की कहानी क्या है? आइए, जानते हैं पूरा मामला नीचे।

1 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस से एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमास को सीधा और सख्त संदेश दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर हमास ने 3 से 4 दिनों के भीतर बंधकों को रिहा नहीं किया, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “हमास के पास अब ज्यादा समय नहीं है। 72 घंटे के भीतर अगर बंधकों को सुरक्षित रिहा नहीं किया गया, तो हम हर विकल्प पर विचार करेंगे।” उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश अब ‘शब्दों से नहीं, कर्मों से जवाब’ देंगे।

20‑पॉइंट की शांति योजना पेश की

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने एक 20‑पॉइंट की शांति योजना पेश की, जिसमें बताया गया है कि कैसे गाज़ा और आसपास के इलाकों में शांति लौटाई जाए और जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई जाए। इस योजना के मुताबिक, हमास को 72 घंटे के भीतर सभी बंदियों को रिहा करना होगा, मानवीय गलियारे खोले जाएंगे और संघर्षविराम अनिवार्य होगा।

उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई

इस शांति प्रस्ताव को इज़राइल के साथ-साथ कई मुस्लिम देशों जैसे मिस्र, कतर और सऊदी अरब ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया है। ट्रंप प्रशासन ने ये भी स्पष्ट किया कि ये योजना अंतिम अवसर है, और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी सैन्य कार्रवाई की जा सकती है।

Donald Trump: “अब हम केवल शांति की बातें नहीं करेंगे, हम उसे लागू भी करेंगे। अगर हमास ने इस बार भी टालमटोल की नीति अपनाई, तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।”

व्हाइट हाउस के सूत्रों के अनुसार, ये योजना केवल सैन्य समाधान नहीं बल्कि कूटनीतिक प्रयासों का भी हिस्सा है। अमेरिका चाहता है कि गाज़ा क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित हो और निर्दोष नागरिकों को राहत मिले।

‘ट्रम्प की शांति योजना का अध्ययन करेंगे’- हमास

हमास ने मंगलवार को कहा कि वो गाज़ा के लिए ट्रम्प की शांति योजना पर आंतरिक स्तर पर और अन्य फिलिस्तीनी गुटों के साथ चर्चा करेगा, इसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया देगा। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पहले ही इस योजना के प्रति अपना समर्थन जताया है, लेकिन ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि हमास इस पर सहमत होगा या कब प्रतिक्रिया देगा। इस प्रस्ताव में हमास से हथियार छोड़ने के बदले संघर्ष समाप्त करने, फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता और गाज़ा के पुनर्निर्माण का वादा किया गया है।

गाज़ा का ये इलाका लंबे युद्ध से बुरी तरह तबाह हो चुका है, जहां मौत का आंकड़ा 66,000 फिलिस्तीनियों को पार कर चुका है, गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार। इसी बीच, इस योजना को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी समर्थन मिला है। ट्रम्प और नेतन्याहू ने सोमवार को व्हाइट हाउस में बातचीत के बाद कहा कि वो इस प्रस्ताव पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं।

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ट्रंप ने यह अल्टीमेटम क्यों जारी किया है?

ट्रंप का उद्देश्य गाज़ा क्षेत्र में तनाव को कम करना और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना है। इस अल्टीमेटम के माध्यम से वह हमास पर दबाव डालना चाहते हैं कि वे शांति प्रस्ताव स्वीकार करें और स्थितियाँ सुधारें।

अगर हमास ने डेडलाइन के बाद योजना को ठुकरा दिया तो क्या होगा?

ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अगर हमास ने इस अल्टीमेटम को ठुकराया, तो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा कड़ी कार्रवाई, संभवतः सैन्य हस्तक्षेप या अन्य प्रकार की दबाव रणनीति अपनाई जाएगी।

क्या इस शांति योजना को लागू करना आसान है?

नहीं इस प्रस्ताव में कई चुनौतियाँ हैं। हमास की स्वीकारोक्ति, अन्य फिलिस्तीनी गुटों की भागीदारी, मानवीय गलियारों की सुरक्षा, और संघर्षविराम पालन — ये सब कारक योजना के सफल लागू होने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और स्थानिक असमर्थताएँ भी मुख्य बाधाएँ हों सकती हैं।