(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 14 दिसंबर (भाषा) नेपाल की राजधानी काठमांडू में विशेषज्ञों और अधिकारियों के अनुसार तेज आर्थिक विकास के दौर से गुजर रहे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय परिवर्तन और विकास के अर्थशास्त्र को समझना महत्वपूर्ण है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्र विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्र हैं जिसमें हिंदू कुश हिमालयी देश आते हैं। इन्हें जलवायु और पर्यावरण के लिहाज से दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
विशेषज्ञों ने जैव विविधता वित्त, वन बहाली, जलवायु अनुकूलन और कृषि सहित टिकाऊ आजीविका पर केंद्रित एक सम्मेलन में इस विषय पर चर्चा की।
नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के गवर्नर बिस्वनाथ पौडेल ने चेतावनी दी कि केवल बैंक ऋण देने से कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान नहीं हो सकता है और उन्होंने ऋण रोकने के लिए राजस्व स्थिरता एवं मूल्य निश्चितता की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि ऋण किसानों पर बोझ बन जाता है।
गवर्नर पौडेल ने शनिवार को ‘नेपाल में कृषि क्षेत्र में बैंक ऋण: मुद्दे और अवसर’ विषय पर अपने मुख्य भाषण में कहा, ‘‘वित्तपोषण एकमात्र समाधान नहीं है; कृषि में राजस्व स्थिरता ही वास्तविक समाधान है।’’
पौडेल ने बदलती जलवायु का सामना कर रहे किसानों के कल्याण के लिए कृषि बीमा के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा, ‘‘कीमतों में स्थिरता के बिना ऋण सहायता के बजाय बोझ बन जाता है।’’
पौडेल ने काठमांडू में ‘विकास, पर्यावरण और पर्वत’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में ये बातें कहीं। यह सम्मेलन दक्षिण एशियाई विकास एवं पर्यावरण अर्थशास्त्र नेटवर्क (एसएएनडीईई) की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
इसका आयोजन इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) ने किया था जो आठ हिमालयी देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है।
आईसीआईएमओडी के महानिदेशक पेमा ग्यामत्शो ने कहा कि एसएएनडीईई ने दक्षिण एशिया में गरीबी, विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के अंतर्संबंध को समझने तथा उस पर प्रतिक्रिया देने के तरीके को मौलिक रूप से आगे बढ़ाया है।
भाषा सुरभि जोहेब
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