क्या है बोटुलिज्म? कैसे बोटोक्स से जुड़ी हुई है यह ‘नसों के लकवे’ वाली बीमारी |

क्या है बोटुलिज्म? कैसे बोटोक्स से जुड़ी हुई है यह ‘नसों के लकवे’ वाली बीमारी

क्या है बोटुलिज्म? कैसे बोटोक्स से जुड़ी हुई है यह ‘नसों के लकवे’ वाली बीमारी

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Modified Date: February 7, 2025 / 04:56 PM IST
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Published Date: February 7, 2025 4:56 pm IST

(थॉमस जेफरीस, सीनियर लेक्चरर इन माइक्रोबायोलॉजी, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी)

सिडनी, सात फरवरी (द कन्वरसेशन) सिडनी में पिछले सप्ताह बोटोक्स इंजेक्शन लगवाने के बाद तीन लोगों के बोटुलिज्म से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती होने की खबर ने ‘कॉस्मेटिक इंजेक्टेबल्स’ उद्योग के विनियमन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिये हैं।

तीनों महिलाओं ने जनवरी में पश्चिमी सिडनी के एक घर में एक ही प्रदाता से झुर्री रोधी विनियमित उत्पादों के इंजेक्शन लगवाये थे।

यह प्रदाता वर्ष 2024 में विक्टोरिया में बोटोक्स इंजेक्शन के बाद होने वाले बोटुलिज्म के एक मामले से भी कथित तौर पर जुड़ा हुआ है।

प्रदाता पंजीकृत स्वास्थ्य पेशेवर नहीं है। प्रदाता को न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया में कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं करने से प्रतिबंधित कर दिया गया और घटनाओं की जांच की जा रही है।

इस बीच, दोनों राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों ने प्रदाता के बारे में चेतावनी भी जारी की है।

आखिर क्या है बोटुलिज्म? और यह बोटोक्स से कैसे जुड़ा हुआ है?

बोटोक्स और बोटुलिज्म

बोटोक्स या बोटुलिनम टॉक्सिन, ‘क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिन’ नाम के जीवाणु द्वारा उत्पादित ‘टॉक्सिन’ से बनी दवा है। बोटोक्स टॉक्सिन एक ‘न्यूरोटॉक्सिन’ है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में कोशिकाओं के कामकाज में बाधा पैदा करता है।

विशेष रूप से, यह ‘न्यूरोटॉक्सिन’ आपके तंत्रिकाओं द्वारा आपकी मांसपेशियों को भेजे जाने वाले संदेशों को अवरुद्ध करता है, जो उनके सिकुड़ने का कारण बनता है।

इस तरह यह अस्थायी रूप से झुर्रियों को कम कर सकता है। बोटोक्स को अक्सर कॉस्मेटिक अनुप्रयोगों के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग कुछ चिकित्सा स्थितियों, जैसे कि पुराने माइग्रेन और मांसपेशियों में ऐंठन के उपचार में भी किया जा सकता है।

‘बोटोक्स इंजेक्शन’ में बहुत कम सांद्रता वाले टॉक्सिन का उपयोग किया जाता है। इसके दुष्प्रभाव (जैसे इंजेक्शन वाली जगह पर अस्थायी दर्द और सूजन) की संभावना के बावजूद लाइसेंस प्राप्त स्वास्थ्य चिकित्सकों की निगरानी में बोटोक्स को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है।

बोटुलिज्म भी बैक्टीरिया सी. बोटुलिनम द्वारा उत्पादित टॉक्सिन के कारण होता है।

बोटोक्स इंजेक्शन से जुड़े बोटुलिज्म के मामलों के लिए अतीत में नकली उत्पाद या इसके गलत तरीके से इस्तेमाल को जिम्मेदार ठहराया गया है। गलत तरीके से इस्तेमाल या फिर फ्रीज में गलत तरीके से रखने पर उत्पाद में टॉक्सिन की मात्रा बढ़ सकती है।

गलत तरीके से इंजेक्शन लगाना भी एक कारक हो सकता है। जब बोटुलिनम टॉक्सिन को ठीक से संभाला नहीं जाता है, तो ये टॉक्सिन रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकता है, जिससे बोटुलिज्म होता है।

बोटुलिज्म से एक खाद्य जनित बीमारी भी हो सकती है। सी. बोटुलिनम, बीजाणु बना सकता है और कठिन परिस्थितियों में जीवित रह सकता है, जिसका मतलब यह है कि यह कई खाने-पाने की चीजों में खुद को बचाये रख सकता है और आपको अपना शिकार बना सकता है।

जो लोग घर पर ज्यादा दिनों तक रखी सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थ खाते हैं, खासकर जिन्हें बनाते वक्त पकाया नहीं जाता, उन्हें खाद्य जनित बोटुलिज्म से पीड़ित होने का जोखिम अधिक हो सकता है। नमक और एसिड का कम स्तर टॉक्सिन के मौजूद होने के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।

सी. बोटुलिनम मिट्टी और पानी में भी जीवित रह सकता है। इस तरह, बोटुलिज्म पर्यावरण से बैक्टीरिया के कारण भी हो सकता है। यह विशेष रूप से शिशुओं में घाव के संक्रमण, या सी. बोटुलिनम के साथ आंतों के संक्रमण के रूप में भी हो सकता है।

नसों के माध्यम से दवा लेने वालों को घाव से होने वाले बोटुलिज्म का ज्यादा जोखिम होता है जबकि शिशुओं को ‘गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बोटुलिज्म’ होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनके आंत के माइक्रोबायोम अब भी विकसित हो रहे होते हैं।

यह अत्यंत दुर्लभ है

बोटुलिज्म से पीड़ित होना बहुत असामान्य घटना है और ऑस्ट्रेलिया में आम तौर पर हर वर्ष इसका केवल एक ही मामला सामने आता है।

हालांकि, यह बहुत गंभीर है। इसे आमतौर पर तंत्रिका-पक्षाघात वाली बीमारी के रूप में जाना जाता है।

टॉक्सिन के संपर्क में आने के कुछ घंटों से लेकर कई दिनों के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं और इसमें पलकें झुकना, सांस लेने में कठिनाई, चेहरे की कमजोरी, धुंधला-धुंधला दिखाई देना, निगलने में कठिनाई और बोलने में दिक्कत जैसी समस्याएं शामिल हैं। यह शिशुओं में उनकी शारीरिक गतिविधियों को मंद करने का कारण बन सकता है। बोटुलिज्म 5-10 फीसदी मामलों में जानलेवा साबित होता है।

इसका उपचार, अगर आवश्यक हो तो सांस लेने वाले व्यायाम के सहयोग से और तत्काल बोटोक्स एंटीटॉक्सिन देकर किया जाता है, जो टॉक्सिन को शरीर में तंत्रिका कोशिकाओं से जुड़ने से रोकता है।

द कन्वरसेशन जितेंद्र संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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