पटना, बिहार में नवगठित महागठबंधन सरकार ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों के बहिर्गमन के बीच आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। भाजपा को हाल ही में हुए सियासी उलटफेर में राज्य में सत्ता से बाहर होना पड़ा है।
बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में हाथ उठाने वालों की गिनती की। चौधरी ने अनुरोध किया था कि ध्वनिमत ने स्पष्ट रूप से बहुमत का समर्थन दर्शाया है, लेकिन गिनती से किसी भी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहेगी।
कुल मिलाकर 160 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान ने भी विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। ईमान की पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है।
विश्वासमत पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संबोधन के बीच ही सदन से बहिर्गमन करने वाले भाजपा के विधायक ध्वनिमत से बहुमत का समर्थन किए जाने के बाद फिर से सदन में लौट आए।
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उपाध्यक्ष द्वारा सदस्यों की संख्या गिनने का निर्देश दिये जाने पर भाजपा सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए आग्रह किया कि वह अब इसपर समय बर्बाद न करें बल्कि दिन के लिए निर्धारित अन्य कामकाज पर ध्यान दें। लेकिन उपाध्यक्ष द्वारा उनपका आग्रह अस्वीकार किए जाने के बाद भाजपा के सदस्य हंगामा करते हुए फिर से सदन से बहिर्गमन कर गए।
उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित किए जाने की घोषणा से पहले सूचित किया कि बृहस्पतिवार को नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाएगा। यह पद भाजपा के विजय कुमार सिन्हा के इस्तीफे के बाद रिक्त हुआ है।
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विश्वासमत पर चर्चा के दौरान नीतीश कुमार ने लगभग आधे घंटे के अपने भाषण में कथित तौर पर भाजपा के इशारे पर लोजपा के चिराग पासवान द्वारा किये गये विद्रोह, आरसीपी सिंह के माध्यम से जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) में विभाजन के प्रयासों की ओर परोक्ष रूप से इशारा किया।
नीतीश ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है और उन्होंने भाजपा के इस आरोप को खारिज किया कि उनके रुख में ताजा यू-टर्न का उद्देश्य विपक्षी खेमे की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनना है।
उन्होंने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एकजुट रहने का आग्रह किया। जदयू नेता ने भाजपा के साथ अपने पुराने जुड़ाव को भी याद किया और मौजूदा सरकार तथा अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के युग के बीच के अंतर का जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार काम कम करती है और प्रचार-प्रसार अधिक करती है।
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भाजपा विधायकों के अपने विरोध में बोलने पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ बोलें। हो सकता है कि इससे आपको अपने राजनीतिक आकाओं से कुछ पुरस्कार मिल जाए।’’
कुमार ने उस अपमान को भी याद किया जब सार्वजनिक मंच से प्रधानमंत्री की उपस्थिति में पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा दिए जाने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पिछले युग के बिल्कुल विपरीत है जब तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज को एनआईटी का दर्जा दिये जाने के उनके अनुरोध को तुरंत स्वीकार कर लिया था।’’
मुख्यमंत्री के संबोधन के बीच ही सदन से बहिर्गमन कर गए भाजपा विधायकों की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा, ‘‘वे भाग गए हैं। अगर वे रुकते तो मुझे कई चीजें याद आतीं जिससे उन्हें परेशानी हो सकती थी।’’
मुख्यमंत्री ने 2017 में तेजस्वी यादव जो अब उनके डिप्टी के रूप में वापस आ गए हैं, के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में राजद के साथ संबंध तोड़ने की बात स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘पांच साल बीत चुके हैं। एक भी बात सिद्ध नहीं हुई है।’’
कुमार ने अपने नए कैबिनेट सहयोगी इसराइल अहमद मंसूरी द्वारा एक मंदिर के अंदर प्रवेश पर विवाद खड़ा करने के लिए भी भाजपा को लताड़ा और पूर्व सहयोगी को याद दिलाया कि गया जिले में मुसलमानों ने भी उन्हें वोट दिया था जब वे उनके साथ थे।
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उन्होंने भाजपा नेताओं द्वारा जदयू के कम संख्या बल को लेकर उसे आईना दिखाए जाने पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए भगवा पार्टी को 2009 के लोकसभा चुनावों के अलावा 2005 और 2010 के विधानसभा चुनावों की याद दिलाई जिसमें उन्होंने अधिक सीटें जीती थीं।
‘लोकतंत्र खतरे में है’ के विपक्ष के नारे का समर्थन करते हुए जदयू नेता ने कहा, ‘‘मीडिया को भी स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जा रहा है। लेकिन बदलाव लाने के लिए हमें मिलकर लड़ना होगा।’’
इस बीच भाजपा विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने विधानसभा के बाहर आरोप लगाया कि उपाध्यक्ष ने जानबूझकर हेडकाउंट की अनुमति दी ताकि अन्य निर्धारित कार्य नहीं लिया जा सके। सूचीबद्ध मामलों में से एक महागठबंधन के कुछ विधायकों के कदाचार से संबंधित था।
तारकिशोर का संकेत आचार समिति की एक रिपोर्ट की ओर था जिसके बारे में समझा जाता है कि पिछले साल विजय कुमार सिन्हा से जुड़ी एक घटना के लिए राजद के एक दर्जन से अधिक विधायकों को दोषी ठहराया गया था, जब उन्हें कई घंटों तक उनके कक्ष के अंदर बंधक बनाकर रखा गया था।