महामारी के दौर में 84 प्रतिशत अतिधनाढ्यों ने अपनी उत्तराधिकार योजना का फिर आकलन किया: सर्वे

महामारी के दौर में 84 प्रतिशत अतिधनाढ्यों ने अपनी उत्तराधिकार योजना का फिर आकलन किया: सर्वे

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  • Publish Date - March 16, 2021 / 01:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:21 PM IST

नयी दिल्ली, मार्च (भाषा) महामारी के दौरान 84 प्रतिशत अति धनाढ्यों को अपने उत्तराधिकारियों की करतार तय करने की योजना पर अपने दृष्टिकोण का नये सिरे से आकलन करना पड़ा। ऐसा करने वाले भारतीयों का औसत वैश्विक औसत से ऊंचा है। एक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है।

यह सर्वेक्षण 600से अधिक निजी बैंकरों, संपत्ति सलाहकारों और कारोबारी घरानों के बीच किया गया है। इनकी कुल संपत्ति 3,300 अरब डालर आंकी गई है।

नाइट फ्रेंक के 2021 सर्वेक्षण के मुताबिक कोविड- 19 महामारी के दौरान भारत दुनिया के उन चार शीर्ष देशों में रहा है जहां कि अति धनाढ्यों ने उत्तराधिकार योजना को लेकर अपने नजरिये का नये सिरे से आकलन किया।

कनाडा में महामारी के दौरान 90 प्रतिशत अति-धनाढ्यों व्यक्तियों ने अपनी उत्तराधिकार योजना को नये सिरे से परिभाषित किया। वहीं तुकी में यह आंकड़ा 85 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका में 80 प्रतिशत रहा।

पूरी दुनिया में करीब 60 प्रतिशत अति धनाढ्य व्यक्तियों ने कोरोना वायरस महामारी के दौर में अपनी उत्तराधिकार योजना को नये सिरे से देखा और उसका गहराई से आकलन किया।

सर्वेक्षण के मुताबिक 30 प्रतिशत अति धनाढ्य भारतीयों ने अगली पीढ़ी को संपत्ति का हस्तांतरण को शीर्ष तीन चिंताओं में रखा जबकि 16 प्रतिशत ने अपने जवाब में इसे एक बेहतर अवसर के रूप में देखा।

दुनिया की यदि बात की जाये तो 28 प्रतिशत अति धनाढ्यों ने इस मुद्दे को शीर्ष तीन चिंताओं में रखा और 23 प्रतिशत ने इसे 2021 में बेहतर अवसर बताया।

नाइट फ्रेंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘दुनिया को अपने आगोश में लेने वाली महामारी के कारण बढ़ती संपत्ति को लेकर बुजुर्ग पीढ़ी को गहराई से प्रभावित किया और उनहें अपनी उत्तराधिकार योजना का फिर से आकलन करने को लेकर मजबूर कर दिया।’’

बैजल ने कहा कि युवा पीढ़ी उनकी संपत्ति को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा सकती है क्योंकि युवा पीढ़ी के पास आधुनिक प्रौद्योगिकी है और उनकी सोच भी अलग तरह की है।

भाषा

महाबीर मनोहर

मनोहर