नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) केंद्र का राजकोषीय घाटा नवंबर के अंत तक 9.76 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2025-26 के वार्षिक बजट लक्ष्य का 62.3 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
पिछले साल इसी समय यह 52.5 प्रतिशत था।
केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटा (व्यय और राजस्व के बीच का अंतर) जीडीपी का 4.4 प्रतिशत यानी 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2025 तक केंद्र सरकार की कुल आय 19.49 लाख करोड़ रुपये रही, जो कुल बजट अनुमान का 55.7 प्रतिशत है।
इसमें से 13.94 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व के रूप में मिले, 5.16 लाख करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व से प्राप्त हुए और 38,927 करोड़ रुपये गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों के रूप में आए।
इसी अवधि में केंद्र सरकार ने राज्यों को करों में हिस्सेदारी के रूप में 9.36 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। यह राशि पिछले वर्ष की तुलना में 1.24 लाख करोड़ रुपये अधिक है।
नवंबर तक केंद्र सरकार का कुल खर्च 29.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वार्षिक बजट अनुमान का 57.8 प्रतिशत है। इसमें से 22.67 लाख करोड़ रुपये राजस्व मद में और 6.58 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत मद में खर्च किए गए।
राजस्व खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा ब्याज भुगतान का रहा, जिस पर 7.45 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। इसके अलावा प्रमुख मदों में सब्सिडी पर 2.88 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए।
इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के सकल कर राजस्व में बजट अनुमान की तुलना में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की कमी रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि कर राजस्व में संभावित कमी की भरपाई गैर-कर राजस्व में बेहतर प्रदर्शन और राजस्व खर्च में बचत से हो सकती है। इसलिए फिलहाल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से आगे जाने की आशंका नहीं है।
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