वैश्विक दक्षिण तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की पहुंच होना जरूरीः अमिताभ कांत

वैश्विक दक्षिण तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की पहुंच होना जरूरीः अमिताभ कांत

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  • Publish Date - December 5, 2023 / 04:20 PM IST,
    Updated On - December 5, 2023 / 04:20 PM IST

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) जी20 में भारत के ‘शेरपा’ अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक दक्षिण को प्रौद्योगिकी के स्तर पर आगे बढ़ने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को अपनाने की जरूरत है।

कांत ने कार्नेगी इंडिया की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अब दुनिया डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के दम पर ही आगे बढ़ेगी।

‘वैश्विक दक्षिण’ शब्दावली का प्रयोग दुनिया के गरीब और विकासशील देशों के लिए किया जाता है। इनमें से अधिकांश देश दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हैं।

नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कांत ने कहा, ‘‘अगर दुनिया को समान रूप से आगे बढ़ना है, तो वैश्विक दक्षिण महत्वपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि चार अरब लोगों के पास अब भी डिजिटल पहचान नहीं है और 1.3 अरब लोगों के पास बैंक खाता नहीं है। वहीं दुनिया के 133 देशों में त्वरित भुगतान सुविधा नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इन देशों को तकनीकी रूप से छलांग लगाने लायक बनाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की जरूरत है। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सतत या टिकाऊ विकास लक्ष्यों को उन तक पहुंचाया जा सके।

कांत ने कहा कि कोविड काल के दौरान दुनियाभर में सरकारें बड़े राहत पैकेज दे रही थीं लेकिन इससे महंगाई बढ़ गई। उसी समय भारत डीपीआई का उपयोग करके जरूरतमंद लोगों के बैंक खातों में सीधे पैसा डालने में सक्षम था।

उन्होंने कहा कि सरकार कृत्रिम मेधा (एआई) को डीपीआई से जोड़ने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह कहीं से भी कोई व्यक्ति जानकारी पाने के लिए अपनी स्थानीय बोली का इस्तेमाल कर सकता है, आवाज के जरिये अपनी भाषा में फॉर्म भर सकता है और किसी भी सरकारी योजना तक पहुंच बना सकता है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय