सस्ता हुआ खाने का तेल, तिलहन की कीमतों में आई भारी गिरावट, देखें ताजा भाव

Edible oil became cheaper :  इस गिरावट का असर बाकी तेल-तिलहन कीमतों पर भी दिखा और सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सीपीओ और बिनौला तेल कीमतों

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  • Publish Date - October 30, 2022 / 03:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:48 PM IST

नई दिल्ली : Edible oil became cheaper by Rs 50 : देश में लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। आम आदमी को महंगाई से थोड़ी राहत मिलती हुई नजर आ रही है। दरअसल लगातार बढ़ती महंगाई के बीच खानें के तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई। ये गिरावट देश में सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ने की उम्मीद के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में आई कमी के कारण दर्ज हुई है।

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तेल-तिलहन कीमतों पर दिख रहा गिरावट का असर

Edible oil became cheaper by Rs 50 : इस गिरावट का असर बाकी तेल-तिलहन कीमतों पर भी दिखा और सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सीपीओ और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। दूसरी ओर सर्दी के साथ-साथ शादी-विवाह में मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया। सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल बिनौला तेल के भाव कम हैं, जिसकी वजह से किसान नीचे भाव पर बिकवाली करने से बचने के लिए मंडियों में कम माल ला रहा है।

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बिनौला तेल की कीमत

Edible oil became cheaper by Rs 50 : इसी वजह से बिनौला तेल की कीमतों में तेजी आई है। किसान मंडियों में कम सरसों ला रहे हैं और वे रोक-रोक कर बिकवाली कर रहे हैं। इसलिए सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सोयाबीन और मूंगफली की आवक मंडियों में धीरे-धीरे बढ़ेगी। इस वजह से सोयाबीन और मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई है।

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कितना कम हुआ तेल का भाव

Edible oil became cheaper by Rs 50 : बीते सप्ताह मूंगफली तिलहन का भाव 50 रुपये घटकर 6,820-6,885 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसके अलावा कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 350 रुपये की गिरावट के साथ 8,750 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये घटकर 10,500 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 300 रुपये घटकर 9,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। दूसरी तरफ बिनौला तेल 100 रुपये बढ़कर 13,200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ।

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इन तेलों की बिक्री मंडियों में हो रही कम

Edible oil became cheaper by Rs 50 : सूत्रों ने कहा कि कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के आयात भाव के मुकाबले कांडला बंदरगाह पर इन तेलों का भाव अधिक है। इसकी वजह से मंडियों में इन तेलों की बिक्री कम हो रही है। कम बिक्री की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई है। खाद्य तेलों के शुल्क-मुक्त आयात की छूट का कोटा निर्धारित किये जाने से बाकी आयात लगभग रुक गया, क्योंकि बाकी आयात के लिए आयातकों को आयात शुल्क का भुगतान करना होग। इससे बाजार में कम आपूर्ति की स्थिति बन गई है। सूत्रों ने कहा कि तेल संगठनों की जिम्मेदारी बनती है कि सरकार के कोटा निर्धारित करने के फैसले के दुष्प्रभावों के संबंध में सरकार को अवगत कराये।

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निर्मित हुई शॉर्ट सप्लाई की स्थिति

Edible oil became cheaper by Rs 50 :  सरकार की तरफ से 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क-मुक्त आयात की छूट देने के बाद आयातकों द्वारा नये सौदे नहीं खरीदने के कारण बाजार में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हो गई है। सूत्रों ने कहा कि सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करते हुए या तो शुल्क-मुक्त आयात की सीमा को हटा देना चाहिये या पहले की तरह सभी आयात पर शुल्क लगा देना चाहिये। इस कदम से कोई आंतरिक प्रतिस्पर्धा नहीं रह जायेगी और आयात बढ़ेगा जिससे प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्य तेल उपलब्ध होगा।

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