अंतिम उपयोग की बंदिशों के बगैर कोयला नीलामी के लिए ‘कोलसेतु’ को सरकार की मंजूरी

अंतिम उपयोग की बंदिशों के बगैर कोयला नीलामी के लिए 'कोलसेतु' को सरकार की मंजूरी

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 09:39 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 09:39 PM IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को विभिन्न औद्योगिक उपयोगों एवं निर्यात के लिए कोयले की नीलामी को लेकर ‘कोलसेतु’ व्यवस्था को मंजूरी दी ताकि संसाधन का उचित उपयोग और निष्पक्ष पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में कोलसेतु को मंजूरी दी गई।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘सुगम, प्रभावी एवं पारदर्शी उपयोग के लिए कोयला लिंकेज की नीलामी नीति’ (कोलसेतु) लाई गई है जो गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति 2016 में एक अलग व्यवस्था के तौर पर जोड़ी जाएगी।

कोयला लिंकेज का मतलब कोयले की आपूर्ति का अधिकार या अनुबंध से है। यह किसी उद्योग या संयंत्र को तय समय और मात्रा के लिए दिया जाता है।

इस नीति के तहत किसी भी औद्योगिक उपयोग या निर्यात के लिए घरेलू खरीदार लंबे समय तक कोयले की नीलामी में भाग ले सकते हैं।

सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि अब कोई भी घरेलू खरीदार, चाहे उसे कोयले का उपयोग किसी भी उद्देश्य के लिए करना हो, कोयले की नीलामी में हिस्सा ले सकता है।

हालांकि वैष्णव ने यह स्पष्ट किया कि कोलसेतु व्यवस्था के तहत कोकिंग कोयला शामिल नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि देश में कोयला उत्पादन इतना अधिक है कि अब निर्यात पर ध्यान दिया जा सकता है। इसके तहत जिनके पास कोयले की आपूर्ति है, वे अपनी कोयला मात्रा का 50 प्रतिशत तक निर्यात कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर समूह की कंपनियों में लचीले ढंग से उपयोग कर सकते हैं।

फिलहाल सीमेंट, स्टील (कोकिंग), स्पंज आयरन और एल्युमिनियम जैसे गैर-नियंत्रित क्षेत्रों को कोयला लिंक नीलामी के माध्यम से आवंटन किया जाता है।

बयान के मुताबिक, बाजार के बदलते हालात और ‘कारोबारी सुगमता’ में सुधार के लिए इस व्यवस्था में बदलाव आवश्यक हो गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए एनआरएस लिंकेज नीति, 2016 में एक अलग ‘कोलसेतु’ खिड़की जोड़ी जा रही है जिसमें कोयले के अंतिम उपयोग को लेकर किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी।

नई नीति के तहत कोयला लिंकेज का उपयोग घरेलू खपत, धुलाई (कोल वॉशिंग), निर्यात या किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए किया जा सकेगा। लेकिन घरेलू स्तर पर दोबारा बिक्री की अनुमति नहीं होगी।

इसके अलावा कोयला कारोबारी भी इस ‘विंडो’ में भाग नहीं ले सकेंगे।

आधिकारिक बयान के मुताबिक, कोयला धुलाई संयंत्रों को आवंटन बढ़ाने से घरेलू बाजार में धुले कोयले की आपूर्ति बढ़ेगी और आयात निर्भरता कम होगी। धुला हुआ कोयला निर्यात के लिए भी उपलब्ध रहेगा।

यह संशोधन कोयला क्षेत्र को व्यावसायिक खनन के लिए खोलने की नीति के अनुरूप है, जहां कोयला ब्लॉक के आवंटन पर किसी प्रकार की अंतिम उपयोग शर्तें नहीं हैं।

सरकार का अनुमान है कि नई व्यवस्था घरेलू कोयला भंडारों के उपयोग में तेजी लाएगी और ऊर्जा जरूरतों के लिए आयातित कोयले पर निर्भरता घटाएगी।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि एनआरएस में मौजूद निर्दिष्ट उप-क्षेत्रों के लिए मौजूदा नीलामी प्रक्रिया जारी रहेगी और निर्दिष्ट उपभोक्ता भी कोलसेतु प्रणाली में भाग ले सकते हैं।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण