दुर्लभ खनिज तत्वों से जुड़ी चिंताओं को हल करने के लिए साथ आए सरकार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र: अधिकारी

दुर्लभ खनिज तत्वों से जुड़ी चिंताओं को हल करने के लिए साथ आए सरकार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र: अधिकारी

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  • Publish Date - June 27, 2025 / 03:19 PM IST,
    Updated On - June 27, 2025 / 03:19 PM IST

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के अतिरिक्त सचिव अमितेश सिन्हा ने कहा कि दुर्लभ खनिज चुंबक से जुड़ी चिंताओं को हल करने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

दुर्लभ खनिज (दुर्लभ खनिज चुंबक) का इस्तेमाल वाहन क्षेत्र और अन्य उपकरणों में किया जाता है।

सिन्हा ने कहा कि दुर्लभ खनिज चुंबक बनाने की तकनीक मौजूद है, लेकिन इसका वाणिज्यिक रूप से प्रतिस्पर्धी दर पर उत्पादन करना एक चुनौती है।

उन्होंने पीएसयू प्रौद्योगिकी अनुसंधान से जुड़े कार्यक्रम में कहा कि दुर्लभ खनिज से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए, तीनों भागीदार – सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र – अपना काम कर रहे हैं।

सिन्हा ने कहा, ”प्रौद्योगिकी मौजूद है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि हम प्रतिस्पर्धी मूल्य पर वाणिज्यिक रूप से इसका उत्पादन कैसे कर सकते हैं। इसलिए यह मुख्य चुनौती है। सरकार निश्चित रूप से काम करेगी क्योंकि ये चीजें अब रणनीतिक और महत्वपूर्ण होती जा रही हैं।”

कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी के लिए सामग्री केंद्र (सी-मेट) ने दुर्लभ खनिज चुंबकों के उत्पादन के लिए अहमदाबाद स्थित कंपनी सोमल मैग्नेट्स के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए। सी-मेट एमईआईटीवाई के तहत एक शोध इकाई है।

सिन्हा ने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास पर पिछले कुछ वर्षों से काम चल रहा है क्योंकि सरकार को इनके महत्व का एहसास है।

उन्होंने कहा, ”वे (सी-मेट) पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन अचानक इस दुर्लभ खनिज तत्वों पर सबका ध्यान केंद्रित हो गया है। इसके लिए हमें एक ऐसी क्षमता विकसित करनी होगी, जिसे संकट के समय आसानी से बढ़ाया जा सके। इसलिए हम अभी उस तरह के बुनियादी ढांचे या क्षमता का लक्ष्य बना रहे हैं।”

भाषा पाण्डेय रमण

रमण