नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) आर्थिक थिंक-टैंक जीटीआरआई ने शुक्रवार को कहा कि भारत को अमेरिका के भारी शुल्क का जवाब देने में कठिन विकल्पों का सामना करना पड़ रहा है।
जीटीआरआई ने कहा कि चाहे बातचीत हो, जवाबी कार्रवाई करना हो, निर्यात बाजारों में विविधता लाना हो या रूसी तेल आयातर रोक लगाना हो- हर विकल्प के अपने फायदे एवं जोखिम हैं।
‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत इस साल अपना स्वतंत्रता दिवस अमेरिका के साथ एक गंभीर व्यापारिक टकराव की छाया में मना रहा है।
ट्रंप प्रशासन के अधिकांश भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले ने भारत को एक रणनीतिक दुविधा में डाल दिया है। इसका देश के व्यापार, ऊर्जा और कूटनीतिक स्थिति पर व्यापक प्रभाव हो सकता है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ”भारत के सामने बातचीत, जवाबी कार्रवाई, बाजारों में विविधता लाना, या शुल्क में राहत के लिए रूसी तेल की खरीद बंद करना जैसे कई विकल्प हैं। हर विकल्प के फायदे और जोखिम दोनों हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत को उच्च शुल्क का बोझ उठाने के साथ यूरोप, आसियान, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और लैटिन अमेरिका को होने वाले अपने निर्यात में विविधता लाने के लिए संरचनात्मक सुधारों और आक्रामक व्यापार कूटनीति की भी जरूरत होगी।
उन्होंने कहा, ”अमेरिकी व्यापार में होने वाले 50 अरब डॉलर के नुकसान के मुकाबले पहले दो वर्षों में अन्य देशों को निर्यात बढ़ाने से केवल 10-15 अरब डॉलर की ही भरपाई हो पाएगी।”
श्रीवास्तव ने कहा कि अगर अमेरिकी शुल्क से वहां उपभोक्ता मूल्य और बेरोजगारी बढ़ेगी, तो घरेलू राजनीतिक दबाव में आकर ट्रंप प्रशासन सभी देशों के लिए शुल्क में लगभग 15 प्रतिशत की कटौती करने को मजबूर कर सकता है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
प्रेम