भारत सोशल मीडिया पर कूटभाषा में भेजे जाने वाले संदेशों के खिलाफ सात देशों के अभियान में शामिल

भारत सोशल मीडिया पर कूटभाषा में भेजे जाने वाले संदेशों के खिलाफ सात देशों के अभियान में शामिल

  •  
  • Publish Date - October 13, 2020 / 03:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

लंदन, 13 अक्टूबर (भाषा) भारत सोशल मीडिया पर कूटभाषा में भेजे जाने वाले संदेशों के खिलाफ सात देशों के अभियान में शामिल हो गया है। इस पहल का नेतृत्व ब्रिटेन कर रहा है।

सोशल मीडिया पर कूटभाषा में भेजे जाने वाले संदेशों के खिलाफ एक अभियान में भारत भी शामिल हो गया है। इस अभियान में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान शामिल हैं।

सभी देशों ने एक अंतरराष्ट्रीय संयुक्त बयान में सभी प्रौद्योगिकी कंपनियों से कीा है कि वह उनके मंच पर चल रही बाल यौन शोषण समेत अन्य ‘गैर-कानूनी गतिविधियों’ को लेकर ‘आंख मूंदकर’ न बैठें।

आसूचना मुद्दों पर एक वैश्विक गठबंधन के जापान और भारत को शामिल करने से राष्ट्रों के ‘फाइव आइज’ नाम से जाने वाले समूह का विस्तार हुआ है।

इस बयान के संदर्भ में ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने रविवार को कहा, ‘‘ यह हम पर हमारे सभी नागरिकों विशेषकर बच्चों का कर्ज है। हमें उनकी यौन शोषण करने वालों और ऑनलाइन आतंकवादी गतिविधियां चलाने वालों से सुरक्षा सुनिश्चित करना है।’’

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए यह बहुत आवश्यक है कि वह इस समस्या को लेकर आंख मूंदकर न बैठें और ना ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रास्ते में बाधा बने जो इस तरह के आपराधिक गतिविधियों को संभालने में सक्षम हैं। हमारा सभी प्रौद्योगिकी कंपनियों से आग्रह है कि लोगों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए इसका समाधान ढूंढें।’’

गौरतलब है कि फेसबुक के स्वामित्व वाली व्हाट्सएप अपने उपयोक्ताओं को कूटभाषा में संदेश भेजने की सुविधा देती है। एपल भी अपने ग्राहकों के लिए ऐसी ही सुविधा देती है। कंपनियां ‘एंड टू एंड इंक्रिप्शन’ की सेवा देती है जिसमें संदेश भेजने और पाने वाले के अलावा संदेश को कोई बीच में नहीं पढ़ सकता है।

कई देशों की सरकारों का मानना है कि सोशल मीडिया कंपनियों के इस व्यवहार से कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि कंपनियां उपयोक्ता की निजता के चलते ऐसे संदेशों तक उनकी पहुंच को रोक देती हैं।

भाषा शरद मनोहर

मनोहर