मस्कट, 18 दिसंबर (भाषा) भारत और ओमान ने बृहस्पतिवार को मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत वस्त्र, कृषि उत्पाद तथा चमड़े के सामान सहित भारत के 98 प्रतिशत निर्यात को ओमान में शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान की जाएगी।
यह समझौता ऐसे समय में हो रहा है जब भारत को अपने सबसे बड़े निर्यात गंतव्य अमेरिका में 50 प्रतिशत तक के भारी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
यह समझौता भारतीय निर्यातकों को पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अपने निर्यात को विविधतापूर्ण बनाने में मदद करेगा, जो अफ्रीका और यूरोप का प्रवेश द्वार है।
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के वाणिज्य, उद्योग और निवेश संवर्धन मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने मस्कट में हस्ताक्षर किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक मौजूद थे।
इस समझौते को 2026 की पहली तिमाही तक लागू किए जाने की संभावना है।
समझौते के अनुसार, ओमान ने अपनी कुल शुल्क दरों की 98.08 प्रतिशत श्रेणियों पर शून्य-शुल्क पहुंच की पेशकश की है। इसमें ओमान को होने वाले भारत के 99.38 प्रतिशत निर्यात को हिस्सा शामिल है।
समझौते के तहत रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, जूते, खेल सामग्री, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, औषधि, चिकित्सा उपकरण और मोटर वाहन सहित सभी प्रमुख श्रम-प्रधान क्षेत्रों को पूर्ण शुल्क समाप्ति का लाभ मिलेगा।
वर्तमान में ओमान में इन वस्तुओं पर पांच से 100 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगता है।
दूसरी ओर भारत अपनी कुल शुल्क श्रेणियों (12,556) में से 77.79 प्रतिशत पर शुल्क उदारीकरण की पेशकश कर रहा है। इसमें मूल्य के आधार पर ओमान से होने वाले भारत के 94.81 प्रतिशत आयात शामिल है।
ओमान के लिए जिन उत्पादों में निर्यात रुचि है और जो भारत के लिए संवेदनशील हैं, वहां अधिकांश मामलों में शुल्क-दर कोटा (टीआरक्यू) आधारित शुल्क उदारीकरण की पेशकश की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘भारत-ओमान व्यापार शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों में नई ऊर्जा का संचार करेगा और साथ ही पारस्परिक वृद्धि के अवसर भी पैदा करेगा।
सीईपीए को भारत-ओमान के साझा भविष्य की रूपरेखा करार देते हुए प्रधानमंत्री ने व्यापार जगत से इस समझौते की पूरी क्षमता का लाभ उठाने को कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘आज हम एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय ले रहे हैं, जिसकी गूंज आने वाले कई दशकों तक सुनाई देगी। व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता हमारी साझेदारी को 21वीं सदी में नया विश्वास एवं नई ऊर्जा प्रदान करेगा।’’
गोयल ने कहा कि यह व्यापार समझौता भारतीय निर्यातकों और पेशेवरों के लिए अवसर प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे ओमान के बाजार में भारतीय वस्तुओं के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच संभव हो जाएगी। प्रमुख उच्च-वृद्धि वाले क्षेत्रों में सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता का विस्तार होगा और भारतीय पेशेवरों के लिए आवाजाही बढ़ेगी।’’
गोयल ने कहा कि यह समझौता किसानों, कारीगरों, श्रमिकों और लघु एवं मध्यम उद्यमों को लाभ पहुंचाते हुए समावेशी वृद्धि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है। साथ ही साथ राष्ट्रीय हितों की रक्षा भी करता है।
ओमान के साथ व्यापार समझौता महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के सबसे बड़े निर्यात गंतव्य अमेरिका द्वारा अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाने के बाद सरकार भारत के निर्यात में विविधता लाने के लिए काम कर रही है।
भारत ने जुलाई में ब्रिटेन के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए और यूरोपीय संघ और न्यूजीलैंड के साथ बातचीत अंतिम चरण में है।
भारत पश्चिम एशियाई देशों में भी अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है। मई 2022 में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक समझौता लागू किया और जल्द ही कतर के साथ बातचीत शुरू करेगा। ये देश खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सदस्य हैं।
ओमान भले ही एक छोटा देश है, लेकिन इसका रणनीतिक महत्व है क्योंकि यह होर्मुज जलडमरूमध्य से सटा हुआ है, जो एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है। एशियाई कंपनियां तेल व्यापार के लिए इस मार्ग का उपयोग करती हैं।
ओमान भारत के लिए भी इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, क्योंकि यह पश्चिम एशियाई और अफ्रीकी देशों के लिए भारतीय वस्तुओं एवं सेवाओं का एक प्रमुख प्रवेश द्वार है।
ओमान में लगभग सात लाख भारतीय नागरिक रहते हैं। भारत को ओमान से प्रतिवर्ष लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर की राशि प्राप्त होती है।
भाषा योगेश रमण
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