सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल में गिरावट, बिनौला तेल में सुधार

सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल में गिरावट, बिनौला तेल में सुधार

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  • Publish Date - April 10, 2024 / 07:45 PM IST,
    Updated On - April 10, 2024 / 07:45 PM IST

नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) नवरात्र और शादी-विवाह के सीजन की मांग बढ़ने के साथ-साथ न्यूनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिकवाली से बचने की भावना के बीच बुधवार को देश के तेल-तिलहन बाजारों में कारोबार का मिला-जुला रुख रहा। सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तेल के भाव जहां गिरावट के साथ बंद हुए, वहीं नकली खल के आगे गैर-प्रतिस्पर्धी होने के कारण बिनौला तेल के साथ साथ कम दाम पर बिकवाली नहीं होने से सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार दिखा। ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर रहने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम मिलने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन तथा मलेशिया एक्सचेंज के बंद रहने के कारण कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल की थोक कीमतें अपरिवर्तित रुख के साथ बंद हुईं।

मलेशिया एक्सचेंज में कल शाम का बाजार बंद था और आज यहां अवकाश है। शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी और फिलहाल यहां सुधार चल रहा है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि कल के मुकाबले आज मंडियों में सरसों की आवक बढ़ने से सरसों तेल-तिलहन की थोक कीमतों में गिरावट देखने को मिली। मंगलवार के सवा आठ लाख बोरी की आवक के मुकाबले बुधवार को सरसों की आवक बढ़कर लगभग सवा नौ लाख बोरी हो गई। सरसों पेराई मिलों को पेराई करने में 4-5 रुपये किलो का नुकसान है लेकिन फिर भी उनके साथ मिल चलाने की मजबूरी है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन तेल में मामूली गिरावट है। आयात करने में इसका तेल कहीं सस्ता पड़ता है। पहले आयातित सोयाबीन तेल जितने ऊंचे प्रीमियम पर बिक रहा था, उस प्रीमियम शशि में थोड़ी कमी आना इसमें मौजूदा गिरावट का असली कारण है। दूसरी ओर, डी-आयल्ड केक (डीओसी) की वजह से सोयाबीन संयंत्र वालों की मांग के कारण सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार है। पहले के कुछ वर्षों में जिस तरह से किसानों को सोयाबीन के एमएसपी से काफी अधिक दाम मिल चुके हैं, उसके मुकाबले मौजूदा सोयाबीन की जो कीमत है, उस कीमत पर किसान सोयाबीन बेचने को राजी नहीं है। यह स्थिति भी सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार का कारण है।

सूत्रों ने कहा कि बिनौले के नकली खल का कारोबार बढ़ने के कारण बिनौला पेराई मिलें नकली खल के कमजोर दाम से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने एमएसपी पर अगले पांच साल तक कपास खरीद का आश्वासन भी दिया है पर सरकार की मामूली खरीद को ध्यान में रखते हुए बिनौला उद्योग को सुचारू नहीं किया जा सकता। इस मामले में सरकार को नकली खल के कारोबार पर अंकुश लगाना होगा।

मलेशिया एक्सचेंज के बंद रहने के कारण सीपीओ और पामोलीन के दाम पूर्वस्तर पर हैं। वैसे सीपीओ का हाजिर बाजार में माल ही नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली किसानों को मूंगफली एमएसपी से से नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। मिल वालों को मूंगफली की पेराई करने में भाव बेपड़ता बैठता है। इसके अलावा पेराई के बाद महंगा होने के कारण इस तेल के खपने में मुश्किल आती है। इस स्थिति के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,410-5,450 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,105-6,380 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,240-2,505 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,740-1,840 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,740 -1,855 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,830 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,900-4,920 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,700-4,740 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश अजय

अजय