ऊर्जा के दाम बढ़ने से उपभोक्ताओं के कुल खर्च पर पड़ेगा असर: सर्वे

ऊर्जा के दाम बढ़ने से उपभोक्ताओं के कुल खर्च पर पड़ेगा असर: सर्वे

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  • Publish Date - March 30, 2022 / 05:53 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) दुनिया के विभिन्न देशों के उपभोक्ताओं को लगता है कि ऊर्जा के दाम बढ़ने से उनके कुल खर्च पर असर पड़ेगा। एक वैश्विक सर्वे में बुधवार को यह कहा गया है।

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ)-इप्सॉस के सर्वे में यह बात भी सामने आयी है कि 10 में से औसतन आठ लोग चाहते हैं कि अगले पांच साल में उनका देश जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीजल) छोड़े। वहीं भारत में औसतन करीब 90 प्रतिशत लोगों ने यह इच्छा जतायी।

तीस देशों के बीच यह सर्वे इस साल 18 फरवरी से चार मार्च के बीच किया गया। इसमें 22,534 प्रतिभागियों को शामिल किया गया।

सर्वे के अनुसार, ‘‘दुनिया के बहुसंख्यक ग्राहकों को लगता है कि उनके खर्च की क्षमता ऊर्जा के दाम और बढ़ने से प्रभावित होगी। सर्वे में शामिल लोगों में से केवल 13 प्रतिशत ने बढ़ती कीमतों के लिये जलवायु नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। वहीं 84 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अपने देशों के सतत ऊर्जा स्रोतों की ओर कदम बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।’’

इसमें लोगों से पूछा गया था कि वे अपने दैनिक खर्च में ऊर्जा पर गौर करें जिसमें परिवहन, घरों को गर्म या ठंडा रखने के उपाय, खाना पकाना, उपकरणों के लिये बिजली की जरूरत आदि शामिल हैं। इसके आधार पर आकलन करें कि ऊर्जा का दाम कितना बढ़ने से उनके कुल खर्च पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

तीस देशों में से करीब आधे से अधिक प्रतिभागियों (55 प्रतिशत) को लगता है कि ऊर्जा के दाम बढ़ने से उनके अन्य खर्चों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

हालांकि, यह आशंका विभिन्न देशों में अलग-अलग हैं। जहां दक्षिण अफ्रीका में 77 प्रतिशत ने कहा कि ऊर्जा के दाम से उनके कुल खर्च पर असर पड़ेगा। वहीं जापान और तुर्की में 69 प्रतिशत लोगों ने यह राय जतायी। दूसरी तरफ, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड में 37-37 प्रतिशत लोगों का यह मानना है।

सर्वे के अनुसार, भारत में 63 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि ऊर्जा के दाम में तेजी का उन पर प्रतिकूल असर होगा।

लोगों ने ऊर्जा के दाम बढ़ने के लिये तेल एवं गैस बाजारों में उतार-चढ़ाव (28 प्रतिशत) और भू-राजनीतिक तनाव (25 प्रतिशत) को कारण बताया। अन्य 18 प्रतिशत ने मांग को पूरा करने के लिये आपूर्ति की कमी को वजह बताया। केवल 13 प्रतिशत ने कहा कि ऊर्जा के दाम बढ़ने का कारण जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने को लेकर बनायी गयी नीतियां है।

सर्वे में भारतीय प्रतिभागियों ने अपर्याप्त आपूर्ति को सबसे बड़ा कारण बताया। इसके अलावा उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीतियों, तेल एवं गैस बाजार, उतार-चढ़ाव तथा भू-राजनीतिक तनाव को भी वजह बताया।

भाषा

रमण अजय

अजय