मुंबई, पांच फरवरी (भाषा) भारत में मानकीकरण, शोध-समर्थित सत्यापन और टिकाऊ खेती प्रथाओं के माध्यम से 520 अरब डॉलर के वैश्विक पोषण बाजार में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा आठ अरब डॉलर से बढ़ाने की क्षमता है। बुधवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) के सचिव सुब्रत गुप्ता के अनुसार, लगभग 520 अरब डॉलर मूल्य के वैश्विक पोषण बाजार में पारंपरिक और निवारक स्वास्थ्य सेवा पर जोर बढ़ रहा है।
गुप्ता ने वीटाफूड्स इंडिया के तीसरे संस्करण में कहा, ‘‘भारत की हिस्सेदारी, जिसका अनुमान लगभग आठ अरब डॉलर का है, इस क्षेत्र की विशाल क्षमता को उजागर करती है, विशेष रूप से आयुर्वेद-आधारित न्यूट्रास्युटिकल्स में।’’
उन्होंने कहा कि उद्योग हर्बल और पौधे-आधारित उत्पादों की पहुंच, पता लगाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करके पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ती वैश्विक मांग के साथ, मानकीकरण, शोध-समर्थित सत्यापन और टिकाऊ खेती के तरीके प्राकृतिक स्वास्थ्य क्षेत्र में अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री, प्रसंस्करण अंतराल और निर्यात अनुपालन जैसी चुनौतियों का समाधान किसानों, रोजगार और विदेशी मुद्रा आय में क्षेत्र के योगदान को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)