नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) एचसीएल समूह की चेयरपर्सन रोशनी नादर मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक व्यापार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच प्रौद्योगिकी उद्योग ‘‘सतर्क रूप से आशावादी’’ बना हुआ है।
नादर का मानना है कि अमेरिकी शुल्क और मुद्रास्फीति के दबाव से लागत-अनुकूलन की दिशा में कदम बढ़ सकते हैं, जिससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के लिए नए ‘‘अवसर’’ उत्पन्न होंगे।
रोशनी नादर मल्होत्रा दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में पांचवें स्थान पर काबिज हैं।
नादर ने व्यापार एवं शुल्क की स्थिति को ‘‘दोधारी तलवार’’ करार दिया।
उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘ हम आशावादी हैं, क्योंकि हम इन उद्योगों के ग्राहकों के लिए काम करते हैं, जो शुल्क से प्रभावित हो सकते हैं न कि एक उद्योग के रूप में सीधे तौर पर विशेष रूप से सबसे बड़े बाजारों में, जो कि अमेरिका है।’’
साथ ही, यह भी महसूस किया जा रहा है कि शुल्क दबावों तथा मुद्रास्फीति में किसी भी वृद्धि का मुकाबला करने का एकमात्र तरीका लागत अनुकूलन है।
नादर ने कहा, ‘‘ यही वह जगह है जहां प्रौद्योगिकी मदद कर सकती है, इसलिए जो कुछ हो रहा है, उसके संदर्भ में यह दोधारी तलवार की तरह है जिसमें अवसर भी मौजूद हैं।’’
एचसीएल टेक्नोलॉजीज की प्रमुख नादर ने महिलाओं के लिए ‘हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट’ 2025 में शीर्ष 10 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय बन कर इतिहास रचा है।
रोशनी के पिता शिव नादर (एचसीएल टेक्नोलॉजीज के अरबपति संस्थापक) के एचसीएल कॉरपोरेशन और वामा सुंदरी इन्वेस्टमेंट्स (वामा दिल्ली) में अपनी 47 प्रतिशत हिस्सेदारी उन्हें हस्तांतरित करने के बाद, वह इस सूची में जगह बना पाने में सफल रही थीं। शिव नादर के इस कदम से वह 12 अरब अमेरिकी डॉलर की इस दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई हैं।
इस बीच, एचसीएल समूह ने इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव (आईसीसी) के साथ मिलकर एचसीएल क्लाइमाफोर्स फंड पेश किया है। यह 25 करोड़ रुपये की परोपकारी पहल है, जिसका मकसद बाजार के लिए तैयार जलवायु नवाचारों का समर्थन करना है जो देश को कम कार्बन वाले भविष्य की ओर तेजी से ले जाने के प्रयासों के अनुरूप है।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा