Reported By: Vishal Vishal Kumar Jha
,minor rape victim, image source: Johns Hopkins Medicine
बिलासपुर: Pregnant minor rape victim abortion बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता को 21 सप्ताह का गर्भ समाप्त कराने की परमिशन दे दी है। मामले को लेकर हाईकोर्ट ने कहा- कि ऐसा न करने पर उसकी शारीरिक अखंडता के अधिकार का उल्लंघन होगा, उसके मानसिक आघात में वृद्धि होगी तथा उसके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को 21 हफ्ते के गर्भ को खत्म करने की अनुमति कोर्ट ने दी है। HC की सिंगल बेंच ने कहा— गर्भपात नाबालिग की व्यक्तिगत इच्छा है, इसका सम्मान जरूरी है। सीएमएचओ और विशेषज्ञ डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने मेडिकल सुपरविजन में गर्भपात का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा— अनचाहा गर्भ जारी रखना पीड़िता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होगा।
Pregnant minor rape victim abortion मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 के तहत अनुमति दी गई। डॉक्टरों की टीम की मौजूदगी में पीड़िता का गर्भपात कराया जाएगा। जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता जबरन यौन संबंध बलात्कार की शिकार है। वह गर्भपात कराना चाहती है, क्योंकि वह बलात्कारी के बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती।
गर्भपात कराना उसका निजी फैसला है, जिसका न्यायालय को सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक पहलू है। जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुचिता श्रीवास्तव सुप्रा मामले में कहा है। गर्भावस्था जारी रखने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
कोर्ट ने आगे कहा कि यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और यह अजन्मे बच्चे के लिए और भी अधिक खतरनाक हो सकता है। उसे गर्भपात की अनुमति दी गई है।