Publish Date - March 26, 2025 / 02:54 PM IST,
Updated On - March 26, 2025 / 02:55 PM IST
CBI Raid Latest News | Photo Credit: IBC24
HIGHLIGHTS
भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित आवासों पर सीबीआई ने छापेमारी की।
महादेव बुक केस के सिलसिले में छत्तीसगढ़, भोपाल, कोलकाता और दिल्ली के 60 स्थानों पर सीबीआई ने रेड की।
सीबीआई ने डिजिटल एविडेंस जब्त किए, और जांच जारी है।
रायपुर: CBI Raid Latest News छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के घर आज सीबीआई ने दबिश दी है। सीबीआई की टीम ने आज सुबह से ही उनके रायपुर और भिलाई निवास पर पहुंचे हुए हैं और उनके आवासों पर छापेमारी की। इसके साथ ही, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और बघेल के करीबी सहयोगी के ठिकानों पर भी तलाशी ली गई।
CBI Raid Latest News आपको बता दें कि सीबीआई ने महादेव बुक केस के सिलसिले में आज छत्तीसगढ़, भोपाल, कोलकाता और दिल्ली के 60 स्थानों पर छापेमारी शुरू की है। इन स्थानों में राजनेताओं, वरिष्ठ नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और प्रमुख पदाधिकारियों से जुड़े परिसर भी शामिल हैं।
महादेव बुक और अन्य निजी व्यक्तियों के मामले में शामिल होने का संदेह था, जिसके बाद इस मामले की जांच को लेकर कार्रवाई तेज कर दी गई। शुरुआत में यह केस रायपुर की EOW (Economic Offences Wing) द्वारा रजिस्टर्ड किया गया था, लेकिन बाद में छत्तीसगढ़ सरकार ने इसकी जांच के लिए CBI को केस ट्रांसफर किया।
सीबीआई ने डिजिटल और डॉक्यूमेंट्री सबूतों की तलाश के दौरान कई महत्वपूर्ण डिजिटल एविडेंस जब्त किए हैं। फिलहाल सीबीआई की रेड जारी है, और वे मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने प्रेस नोट जारी कर इस बारे में जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया कि यह कार्रवाई महादेव बुक और अन्य लोगों से जुड़े मामले में चल रही है।
सीबीआई ने महादेव बुक केस के सिलसिले में भूपेश बघेल के घर पर छापेमारी की, जिसमें उनके करीबी सहयोगियों और पुलिस अधिकारियों के ठिकाने भी शामिल थे।
महादेव बुक केस में सीबीआई ने कितने स्थानों पर रेड की है?
सीबीआई ने महादेव बुक केस में छत्तीसगढ़, भोपाल, कोलकाता और दिल्ली के 60 स्थानों पर रेड की है, जिनमें प्रमुख राजनेताओं और अधिकारियों के परिसर शामिल हैं।
महादेव बुक केस की शुरुआत कब हुई थी?
महादेव बुक केस की शुरुआत रायपुर की EOW (Economic Offences Wing) द्वारा रजिस्टर्ड होने के बाद हुई थी, जिसे बाद में छत्तीसगढ़ सरकार ने सीबीआई को ट्रांसफर किया था।