CG Panchayat Chunav: पत्नी को सरपंच बनाने झूठ बोलकर ली छुट्टी! दिन रात प्रचार कर रहे सरकारी कर्मचारी, ग्रामीणों को एक लाख देने का किया वादा

पत्नी को सरपंच बनाने झूठ बोलकर ली छुट्टी! CG Panchayat Elections: Government employees are campaigning day and night

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  • Publish Date - February 11, 2025 / 09:58 AM IST,
    Updated On - February 11, 2025 / 12:50 PM IST

रायपुर: CG Panchayat Chunav छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ हो रहे हैं। शहरों में चुनावी शोर थम चुका है तो वहीं पंचायतों में सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। प्रदेश में निर्विघ्न चुनाव कराने के लिए आदर्श आचार संहिता के बीच शासकीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है, लेकिन अब सरकारी कर्मचारी ही इसका खुलेआम उल्लंघन करते नजर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सिमगा विकासखंड में सहायक ग्रेड -2 पद पर तैनात कर्मचारी ना सिर्फ अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा रहे हैं, बल्कि खुद भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की है।

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CG Panchayat Chunav मिली जानकारी के अनुसार पूरा मामला सिमगा विकासखंड के किरवई ग्राम पंचायत का है। यहां के रहने वाले उमेश सायतोड़े की पत्नी अन्नपूर्णा सायतोड़े सरंपच के पद के लिए चुनाव लड़ रही है। उमेश सायतोड़े विकासखंड के ही चक्रवाय हाईस्कूल में सहायक ग्रेड -2 क्लर्क के पद पर पदस्थ है। ग्रामीणों का आरोप है कि उमेश सायतोड़े तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर खुद चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने गलत तरीके से अवकाश लिया है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि सरपंच प्रत्याशी के पति उमेश सायतोड़े ग्रामीणों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं और प्रलोभन देकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों को मतदान से पहले एक लाख रुपए देने की बात भी कही है। कलेक्टर से की गई शिकायत ग्रामीणों ने सबूत के रूप में वीडियो क्लिप भी सौंपा है।

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क्या कहता है नियम

बता दें कि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक सरकारी अफसर या कर्मचारियों के न सिर्फ चुनाव लड़ने, बल्कि किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने तक पर रोक रहती है। कोई भी सरकारी कर्मचारी राजनीतिक रैली में भी शामिल नहीं हो सकता। कोई भी सरकारी कर्मचारी तभी ऐसा कर सकता है, जब उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया हो।

देखिए वीडियो

क्या सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रचार में भाग ले सकते हैं?

नहीं, चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक सरकारी कर्मचारी न तो चुनाव प्रचार कर सकते हैं और न ही किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। यह तभी संभव है जब कर्मचारी अपनी नौकरी से इस्तीफा दे चुका हो।

क्या सरकारी कर्मचारियों को चुनाव के दौरान कोई खास प्रतिबंध हैं?

जी हां, सरकारी कर्मचारियों को चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने की अनुमति नहीं है। यदि वे ऐसा करते हैं, तो यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।

सिमगा विकासखंड में क्या मामला सामने आया है?

सिमगा विकासखंड के किरवई ग्राम पंचायत में सहायक ग्रेड-2 पद पर तैनात कर्मचारी उमेश सायतोड़े अपनी पत्नी को सरपंच पद का चुनाव लड़वा रहे हैं और खुद भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की है।

क्या सरकारी कर्मचारियों को चुनाव लड़ने की अनुमति है?

नहीं, सरकारी कर्मचारियों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है। वे चुनावी गतिविधियों में तभी शामिल हो सकते हैं जब उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया हो।

चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करने पर क्या कार्रवाई की जा सकती है?

चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें पद से निलंबन, वेतन में कटौती, या अन्य कानूनी दंड शामिल हो सकते हैं।