छत्तीसगढ़ : कांग्रेस ने पीडिया मुठभेड़ की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की

छत्तीसगढ़ : कांग्रेस ने पीडिया मुठभेड़ की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की

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  • Publish Date - May 25, 2024 / 09:27 PM IST,
    Updated On - May 25, 2024 / 09:27 PM IST

रायपुर, 25 मई (भाषा) छत्तीसगढ़ में विपक्षी दल कांग्रेस ने शनिवार को राज्य के बीजापुर जिले में 10 मई को कथित फर्जी मुठभेड़ में 12 लोगों की हत्या की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की है।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि ग्रामीणों ने मुठभेड़ के संबंध में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं और इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।

दस मई को, पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने नक्सल विरोधी अभियान के दौरान बीजापुर जिले के गंगालूर पुलिस थाने की सीमा के अंतर्गत पीडिया गांव के पास एक जंगल में 12 नक्सलियों को मार गिराया था।

पुलिस ने मृत नक्सलियों की पहचान भी की और दावा किया कि उन सभी पर नकद पुरस्कार था। पुलिस ने कहा था कि अभियान के दौरान कुछ लोगों को पकड़ा भी गया था।

स्थानीय ग्रामीणों, मृतकों के परिवार के सदस्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ करने का आरोप लगाया था और कहा था कि मारे गए लोग माओवादी नहीं थे। इस आरोप को पुलिस ने खारिज कर दिया।

बैज ने कहा कि मुठभेड़ के संबंध में कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक संतराम नेताम के नेतृत्व में एक जांच दल गठित किया था, जिसने 16 मई को पिडिया गांव का दौरा किया था।

मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों ने कांग्रेस के जांच दल को बताया कि मारे गए 12 लोगों में से मल्लेपल्ली गांव के बुधु ओयाम और पालनार गांव के कल्लू पुनेम माओवादियों के सक्रिय सदस्य थे, जबकि शेष अन्य इट्टावर गांव के मूल निवासी लाखे कुंजाम, उंडा छोटू, उरसा छोटू, सुक्कू ताती, चैतु कुंजाम, सुनीता कुंजाम, जागो बारसी और पिडिया निवासी सन्नू अवलम, भीमा ओयाम, दुला तामो माओवादी नहीं थे।

उन्होंने कहा कि इट्टावर गांव के कुंजाम गुल्ली, लेखा देवी, कुंजाम बदरू और गोलीबारी में घायल हुए पिडिया गांव के पोयाम नंदू का भी माओवादियों से कोई संबंध नहीं था।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘पुलिस ने इनाम के लिए निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर घटना को अंजाम दिया। घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीणों के अनुसार, 10 मई की सुबह छह बजे जब ग्रामीण जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे, तब पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं। ग्रामीणों द्वारा पुलिस पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर और संवेदनशील हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इस मामले की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच जरूरी है।’’

बैज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि मुठभेड़ की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में की जाए।

भाषा संजीव शफीक

शफीक