रायपुरः अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस के मौके पर देश-प्रदेश सरकारों के आयोजन के मंच से कई घोषणाएं की मसलन छत्तीसगढ़ सरकार ने तय किया कि प्रदेश में सियान गुड़ी का निर्माण होगा, बुजुर्गों के आश्रय के लिए बने वृद्ध-आश्रम आधुनिक होंगे, लेकिन दूसरी तरफ NCRB की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ बुजुर्गों के साथ होने अपराध में अव्वल दिखता है। नक्सलवाद को छोड़ दें अमूमन प्रदेश की, देश में पहचान एक शांत प्रदेश के तौर पर है, लेकिन मौजूदा आंकड़ों ने पक्ष-विपक्ष में बुजुर्गों की सेफ्टी को लेकर नई बहस छेड़ दी है। कांग्रेस आंकड़ों को सामने रख सरकार को घेर रही है तो सत्तापक्ष सफाई में आंकड़ों को 2023 का बताकर पल्ला झाड़ रही है।
NCRB यानि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2023 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बुजुर्गों के लिए सेफ नहीं है। देश में सबसे ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों की हत्या के मामले छत्तीसगढ़ में दर्ज हुए, जबकि 60+ वाले सीनियर सिटीजन्स के खिलाफ अपराध दर में प्रदेश देश में चौथे स्थान पर रहा। देश में सर्वाधिक वरिष्ठ नागरिकों की हत्या दर CG में प्रदेश में सीनियर सिटीजन मर्डर दर 3.6% दर्ज हुई, जबकि देश में बुजुर्गों की हत्या का राष्ट्रीय औसत 1.2% रहा। इस मामले में 3.1% के साथ दूसरे नंबर पर अरुणाचल प्रदेश है तो 2.7% के साथ MP और तमिलनाडु तीसरे स्थान पर हैं। चिंता की बात ये भी है कि छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध साल दर साल बढ़े हैं- बुजुर्गों के खिलाफ दर्ज क्राइम केसेज देखें तो- साल 2021 में 1,408, 2022 में 1,632 और 2023 में 1,798 मामले दर्ज हुए। NCRB की इस रिपोर्ट पर कांग्रेस ने कहा कि विश्व वृद्धजन दिवस के मौके पर ये आंकड़े चिंता बढ़ाते हैं। विपक्ष का सीधा आरोप है कि प्रदेश में बढ़ते नशे का चलन इसी मुख्य वजह है। नशेड़ी घर या बाहर बुजुर्गों को निशाना बनाने से नहीं चूक रहे।
इधर, विपक्ष के वार पर बीजेपी का कहना है कि ये आंकड़े 2023 के हैं, उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तो फिर कांग्रेस कैसे सवाल उठा सकती है। प्रदेश के गृहमंत्री का मानना है कि हर डेटा का ऐनालिसिस करना जरूरी है। भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ये छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश या उड़ीसा का मामला नहीं, वृद्ध जनों के खिलाफ अपराध पूरे देश में बढ़ रहे हैं। वैसे आरोप या सफाई से इतर ये सच है कि बुजुर्गों के प्रति घटता सम्मान का भाव और उनके कत्ल समेत, सीनियर सिटीजन्स से जुड़े अपराधों का बढ़ना पूरे देश की, आज के दौर की, नई जेनेरेशन से जुड़ी समस्या है, लेकिन क्या मौजूदा सरकार इस बात से भी आंखें मूंद सकती है कि साल दर साल छत्तीसगढ़ में बुजुर्गों के प्रति क्राइम बढ़ा है? क्या बुजुर्गों के लिए छत्तीसगढ़ सेफ नहीं रहा ये सरकार के लिए फिक्र की बात नहीं?