CG Liquor Scam | Photo Credit: IBC24
रायपुर: CG Liquor Scam एक मंच से पूर्व CM भूपेश बघेल ये दावा कर रहे हैं कि जब-जब बघेल परिवार से कोई जेल जाता है, प्रदेश में कोई ना कोई सरकार गिर जाती है। बघेल के इस दावे के मायने क्या हैं, क्या ये कहने की कोशिश है कि उनकी हाय में इतनी ताकत है कि सरकारें कुर्सी से उतर जाती हैं? क्या ‘उन्हें’ श्राप देने की शक्ति हासिल है? सवाल ये भी उठा कि क्या वो इतने बड़े पॉलिटिकल ब्रांड बन चुके हैं कि केंद्रीय नेता सीधे उनके बेटे को जेल भेज रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप मोदी सरकार को हिला देंगे? सियासी नेता बड़े-बड़े दावे करते हैं पर उनमें भी थोड़ा बहुत तो लॉजिक होता ही है। पर यहां पूर्व मुख्यमंत्री के इस कथन को आखिर कैसे देखा जाए, क्या ये महज सियासी बयान है, बेतुका दावा है या फिर सीधे-सीधे इसे श्राप कहा जाए?
CG News तो प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की अपने बेटे के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर वो बुरी तरह से बिफरे हुए हैं। सीधे-सीधे कह रहे हैं कि मुझे जेल भेजा तो बीजेपी की रमन सरकार गई। अब बेटे को जेल भेजा है तो केंद्र में बैठी मोदी सरकार जाएगी। दरअसल, छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार के दौरान हुए, कथित 3200 करोड़ के शराब घोटाला केस की जांच कर रही ED ने, पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे को गिरफ्तार किया, 5 दिन रिमांड पर रखकर पूछताछ की और अब चैतन्य न्यायिक रिमांड पर जेल में हैं। 2 दिन पहले कांग्रेसियों ने पूरे प्रदेश में सड़क पर प्रदर्शन भी किया। पूर्व मुख्यमंत्री इस पूरे घटनाक्रम को उनके और परिवार के खिलाफ सियासी दुश्मनी बताते हुए, बीजेपी सरकार के गिरने की बात कह रहे हैं।
बात जब सीधे-सीधे सरकार गिरने के श्राप पर आई तो, बीजेपी सरकार के मंत्रियों ने मोर्चा संभाला। मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा, भूपेश मन में लड्डू खाएं, किसने रोका है। साथ ही पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त, पुलिस लाठी चार्ज में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष के पैर तोड़े जाने की याद भी दिलाई।
एक तरफ पूर्व CM, बेटे चैतन्य के लिए कानूनी बचाव की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं तो दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी सड़क पर उतर इसे सीधे-सीधे पूर्व CM भूपेश और कांग्रेस की आवाज दबाने का षड़यंत्र बताकर जनता से समर्थन हासिल करना चाहती है। बीजेपी इसी बात पर हमलावर है कि, कांग्रेस ने फिर साबित किया है कि वो सिर्फ एक नेता, नेता के परिवार की रक्षा के लिए ही सड़क पर आती है। बहरहाल, सवाल ये है कि लोकतंत्र में सरकार का बनना या गिरना जनता तय करती है या किसी का श्राप?