कोंडागांव: CG News ग्राम पंचायत कमेला में स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में पल रहे झोलाछाप के इलाज से 8 वर्ष की मासूम बच्ची के मौत का मामला प्रकाश में आया है। मामला प्रकाश में आने के बाद से विभागीय अधिकारी मामले में जांच की बात कहते हुए लीपापोती में लग गए हैं। जबकि उप स्वास्थ्य केंद्र कमेला में ही रहकर झोलाछाप विगत 5 वर्ष से ग्राम पंचायत कमेला समेत आसपास के लोगों का उपचार कर रहा हैं। इधर झोलाछाप को संरक्षण देने वाली सेकंड एएनएम के विरुद्ध कार्रवाई की बात कर रहे विभागीय अधिकारी मासूम बच्ची के हत्या के दोषी झोलाछाप को यू ही जाने देने का मन बना लिए हैं।
CG News कोंडागांव जिले के अंतिम छोर कोसारटेंडा जलाशय की गोद में बसा है ग्राम पंचायत कमेला। इसी गांव में महेंद्र पांडे अपने तीन बेटों, इकलौती बेटी अंजली (8) और पूरे परिवार के साथ रहता हैं। पिता की इकलौती बेटी होने से महेंद्र उसे पलकों पर बिठा रखता, गोद में खेलाया करता। 1 अक्टूबर की काली रात अंजली की तबीयत बिगड़ गई। स्वास्थ्य खराब होने से पिता महेंद्र ने रात लगभग 12 बजे घर के ही पास संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर कमेला में अंजली को उपचार के लिए लेकर पहुंचा। स्वास्थ्य विभाग से किसी भी तरह से संबंध नहीं रखने वाले मनोज कश्यप ने उप स्वास्थ्य केंद्र कमेला में देर रात 12 के आसपास अंजली का इलाज करते हुए उसे दस्त के दौरान जेंटा और डेक्स के दो इंजेक्शन लगाए। इंजेक्शन लगाए जाने के कुछ ही देर बाद अंजली ने अपने पिता के ही गोद में दम तोड़ दिया। नब्जों में पली अंजली की मौत से पिता सदमे में है। रो-रो कर अंजली के गम में महेंद्र की हालत बद से बत्तर हो रखी है। वह घटना के संबंध में भी किसी को कुछ कहने लायक नहीं, उन्होंने अपना यह दर्द फूट-फूट कर नम आंखों से बयां किया। पिता के दर्द की दास्तान देख हर किसी का कलेजा पिसल जाए। ऐसी स्थिति में महेंद्र ने अपने दर्द को हमारे सामने बया किया।
5 साल से झोलाछाप कमेला में चल रहा है सब सेंटर के संरक्षण में अपना कारोबार दरअसल झोलाछाप मनोज कश्यप उप स्वास्थ्य केंद्र कमेला में पदस्थ सेकंड एएनएम जमुना कश्यप का पति है। सेकंड एएनएम जमुना कश्यप ने IBC 24 के कैमरे के सामने इस बात को बताया कि, जब भी कमेला या गांव के आसपास कोई बीमार पड़ता तो उसका पति मनोज कश्यप ही बीमार के घर जाकर इलाज करता, इंजेक्शन लगता, आवश्यकता पड़ने पर ग्लूकोज की बोतल आरएल, एनएस या डीआरएल की बोतल भी लगा दिया करता था।
8 साल की मासूम अंजली को जेंटा और डेक्स की इंजेक्शन लगाने वाले झोलाछाप मनोज कश्यप ने IBC 24 के कैमरे के सामने कबूला कि, उसने कहीं किसी से कोई प्रशिक्षण या उपचार का अनुभव नहीं लिया है। वह कुछ समय मेडिकल स्टोर में इलाज काम करता था, जहां उसे दवाइयों का ज्ञान मिला। इसी ज्ञान के आधार पर वह लोगों का इलाज किया करता था। उसके इसी ज्ञान और अनुभव के कारण आज 8 वर्ष की मासूम बच्ची की मौत हो गई। एक परिवार से अपने इकलौती 8 साल की मासूम बेटी को खोने का गम सहना पड़ रहा है।
सीएमएचओ इस पूरे घटनाक्रम पर कोंडागांव जिला के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके सिंह ने कहा कि, मीडिया के माध्यम से अभी-अभी मामले की जानकारी मिली है। टीम गठित कर दोषी पाए जाने पर सेकंड एएनएम जमुना कश्यप के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके सिंह ने इलाज करने वाले झोलाछाप मनोज कश्यप के विरुद्ध किसी भी तरह की कोई कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी सादे रखा।
कब दिया जाना चाहिए जेंटा और डेक्स कोंडागांव जिला के शिशु एवं मातृत्व अस्पताल में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रूद्र कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि, डेक्सा इंजेक्शन इमरजेंसी में बीपी कम हो जाने जैसे स्थिति में दिया जाता है। जेंटामाइसिन एक एंटीबायोटिक है, इसका इस्तेमाल निमोनिया जैसी स्थिति में किया जाता है। दस्त के दौरान इन दोनों इंजेक्शन का इस्तेमाल करना वर्जित है।