Khairagarh News: बेटियों ने दी पिता को मुखाग्नि, आंसुओं के बीच निभाया फर्ज… 5 बेटियों ने रच दिया मिसाल, भावुक हुआ पूरा शहर

बेटियों ने दी पिता को मुखाग्नि, आंसुओं के बीच निभाया फर्ज... 5 बेटियों ने रच दिया मिसाल...Khairagarh News: Daughters lit the funeral pyre of

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  • Publish Date - June 12, 2025 / 08:57 PM IST,
    Updated On - June 12, 2025 / 08:57 PM IST

Khairagarh News | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • कुम्हारपारा से एक अनोखी और प्रेरणादायक घटना सामने आई है,
  • पाँच बेटियों ने यह परंपरा तोड़ते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी,
  • उपस्थित लोगों की आंखें नम हो उठीं

खैरागढ़: Khairagarh News:  कुम्हारपारा से एक अनोखी और प्रेरणादायक घटना सामने आई है जिसने समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता को चुनौती दी है। सामान्यत: हिंदू परंपरा में पिता की चिता को मुखाग्नि देने का अधिकार केवल पुत्र को होता है लेकिन कुम्हारपारा निवासी राजेश यादव की पाँच बेटियों ने यह परंपरा तोड़ते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी।

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Khairagarh News:  राजेश यादव जो ग्राम जोरातराई के हाई स्कूल में लिपिक पद पर कार्यरत थे उनकी तबियत अचानक खराब हो गई। परिजन उन्हें भिलाई स्थित पल्स हॉस्पिटल में भर्ती कराए जहां उपचार के दौरान 11 जून बुधवार को उनका निधन हो गया। राजेश यादव का अंतिम संस्कार 12 जून को किल्लापारा स्थित मुक्तिधाम में किया गया। इस दुखद अवसर पर उनकी पाँच बेटियों ने मुखाग्नि दी जिससे उपस्थित लोगों की आंखें नम हो उठीं।

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Khairagarh News:  बेटियों ने पिता को मुखाग्नि देते हुए यह साबित कर दिया कि बेटा और बेटी में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस साहसिक कदम ने न केवल राजेश यादव के परिवार की परंपरागत सोच को बदल दिया बल्कि समाज को भी एक नई सोच की प्रेरणा दी है। लोगों ने इस पहल की जमकर प्रशंसा की और कहा कि बेटियाँ भी परिवार की परंपरागत जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हैं।

क्या बेटी भी पिता को मुखाग्नि दे सकती है?

परंपरागत रूप से मुखाग्नि पुत्र को देना माना जाता था, लेकिन अब बेटी भी पिता को मुखाग्नि दे सकती है, जैसा कि कुम्हारपारा में राजेश यादव की बेटियों ने दिखाया।

मुखाग्नि देने का पारंपरिक अधिकार किसे होता है?

हिंदू धर्म में पारंपरिक रूप से मुखाग्नि देने का अधिकार पुत्र को होता है, लेकिन सामाजिक बदलाव के चलते यह नियम बदल रहा है।

बेटियों द्वारा मुखाग्नि देने की घटना समाज में क्या संदेश देती है?

यह परंपरागत सोच को चुनौती देती है और बेटियों को परिवार की जिम्मेदारियों में समान अधिकार और सम्मान का संदेश देती है।

क्या बेटी को मुखाग्नि देने में कोई धार्मिक बाध्यता है?

धार्मिक ग्रंथों में पारंपरिक नियम हैं, लेकिन समाज और कानून बेटियों को भी मुखाग्नि देने का अधिकार देता है।

इस तरह की सामाजिक पहल का महत्व क्या है?

यह लिंग समानता को बढ़ावा देती है और महिलाओं को परिवार और समाज में समान भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करती है।