Publish Date - May 15, 2025 / 03:41 PM IST,
Updated On - May 15, 2025 / 03:41 PM IST
Mohla Manpur News | Image Source | IBC24
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मोहला-मानपुर: Mohla Manpur News: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस के नए बेस कैंप की स्थापना के बाद जिला अब लाल आतंक के खात्मे की ओर बढ़ रहा है। मोहला जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर सितागांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आमाकोड़ो के जंगलों में अब बंदूकों की नहीं बल्कि मेहनत और जीवन सुधार की आवाजें गूंज रही हैं।
Mohla Manpur News: यह इलाका कभी कुख्यात नक्सली लीडर लोकेश सलामे के कारण भय का केंद्र था। आमाकोड़ो गांव लोकेश का पैतृक स्थान होने के कारण लंबे समय तक नक्सली प्रभाव में रहा। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। गांव के समीप पुलिस कैंप खुलने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
Mohla Manpur News: अब तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम निर्भीकता से हो रहा है। ग्रामीण बेझिझक जंगलों में जा रहे हैं और ‘हरे सोने’ के नाम से मशहूर तेंदूपत्ते इकट्ठा कर अपनी आजीविका सुधार रहे हैं। डर के साए में रहने वाले लोग अब आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहले जहां हर वक्त जान का खतरा बना रहता था वहीं अब वे बिना किसी डर के मेहनत कर रहे हैं। पुलिस की मौजूदगी ने न सिर्फ सुरक्षा का माहौल दिया है बल्कि विकास की राह भी खोली है।
"आमाकोड़ो पुलिस कैंप" कहां स्थित है और इसका उद्देश्य क्या है?
आमाकोड़ो पुलिस कैंप छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के नक्सल प्रभावित आमाकोड़ो गांव में स्थित है। इसका उद्देश्य नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाना और क्षेत्र में शांति व विकास को बढ़ावा देना है।
"लोकेश सलामे" कौन है और उसका आमाकोड़ो गांव से क्या संबंध है?
लोकेश सलामे एक कुख्यात नक्सली लीडर था, जिसका पैतृक गांव आमाकोड़ो है। लंबे समय तक यह क्षेत्र उसके प्रभाव में था, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल था।
"तेंदूपत्ता तोड़ाई" का क्या महत्व है और यह कैसे जुड़ा है आमाकोड़ो गांव से?
तेंदूपत्ता तोड़ाई ग्रामीणों की आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है, जिसे 'हरा सोना' भी कहा जाता है। पुलिस कैंप की स्थापना के बाद अब ग्रामीण निर्भय होकर तेंदूपत्ता संग्रह कर पा रहे हैं।
"नक्सल प्रभावित इलाका" अब कैसे बदल रहा है?
पुलिस कैंप और सुरक्षाबलों की सक्रियता से नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। ग्रामीण अब आत्मनिर्भरता और विकास की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आया है।
क्या "आमाकोड़ो पुलिस कैंप" का असर अन्य गांवों पर भी पड़ा है?
हां, आमाकोड़ो पुलिस कैंप से आसपास के गांवों में भी सुरक्षा और विश्वास का माहौल बना है। इसका असर तेंदूपत्ता व्यापार, खेती और सामाजिक गतिविधियों में देखा जा रहा है।