CG Ki Baat/ Image Credit: IBC24
CG Ki Baat: रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल हिंसा आखिरी सांसें गिन रही है। हमारी जांबाज फोर्स ने नक्सली गढ़ में घुसकर उनके हौसले और मंसूबों दोनों को ही तहस-नहस किया है। इस अहम मोड़ पर देश-प्रदेश को एक स्वर में बात कर फोर्स की ताकत बढ़ाना चाहिए पर अफसोस इस वक्त भी आरोप-सफाई की सियासी मुद्राएं दिख रही है। कांग्रेस ने भाजपा को नक्सलियों का पोषक बताकर निशाना साधा है तो बीजेपी ने कांग्रेस को ताजा आंकड़ों को इग्नोर करने पर घेरा है। सवाल है कि सिमटती नक्सल हिंसा के बीच क्रेडिट पॉलिटिक्स का प्रोपेगेंडा जरूरी है एक साथ खड़ा होकर अंतिम चुनौती का मुकाबला करना ?
देश के गृहमंत्री ने एक नहीं, बार-बार दोहराया है कि, 31 मार्च 2026 से पहले देश से सशस्त्र नक्सलियों का सफाया होगा। इस टार्गेट की समीक्षा के लिए गृहमंत्री अमित शाह कई बार छत्तीसगढ़ आ चुके हैं। यहां तक की बस्तर में रात बिता चुके हैं और 4 अप्रैल को शाह फिर छत्तीसगढ आ रहे हैं। शाह के दौरे से ऐन पहले विपक्ष ने बीजेपी को नक्सलियों के पोषक होने का आरोप लगाकर बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने 2003 से 2018 तक 15 साल के रमन शासनकाल की तुलना 2018 से 2023 में अपनी सरकार के दौरान हुई नक्सली वारदातों से की है।
रमन सरकार के 15 साल में एक दर्जन से ज्यादा बड़े नक्सल अटैक हुए, जिसमें 310 पुलिस+ फोर्स के जवान शहीद हुए, 2003 में बस्तर में केवल 3 ब्लॉक में नक्सली सीमित थे, जबकि रमन सरकार के 15 साल में नक्सली 14 जिलों में फैल गए। पूर्व CM भूपेश बघेल का आरोप है कि, रमन कार्यकाल में तो केदार कश्यप के भाई तक की हत्या हुई, नक्सली बीजेपी दफ्तरों से वसूली करते थे।
इधर, भाजपा को नक्सलियों का पोषक कहे जाने पर CM विष्णु देव साय ने करारा पलटवार कर कहा कि, लगातार हार से कांग्रेस बौखलाई हुई है। डिप्टी CM ने अरूण साव का कहा कि जनता ने जानती है कि बीती भूपेश सरकार का नक्सलियों को संरक्षण हासिल था। कांग्रेस इनका कैडर की तरह इस्तेमाल करती थी, बीजेपी कार्यकर्ताओं की टार्गेट किलिंग होती थी। जनता कांग्रेस के चेहरे को पहचान कर उन्हें पिछले चुनाव में इसका प्रमाण दे चुकी है।
कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी नक्सलियों की पोषक है तो बीजेपी का दावा है कि सालों तक नक्सलियों पाल-पोस कर संरक्षण देने वाली कांग्रेस, हार से बौखलाई हुई है। गलत नरेटिव सेट करना चाहती है, जबकि प्रदेश-देश देख रहा है कि, डबंल इंजन सरकार तेजी से नक्सलियों के पूर्ण सफाए की तरफ बढ चुकी है जिसकी तारीख भी शाह तय कर चुके हैं। सवाल है नक्सलियों को लेकर किसके दावे में दम है ?