शह मात The Big Debate: बेखौफ खनन.. बेबस प्रशासन, कभी पत्रकारों से मारपीट.. तो कभी तालिबानी सजा, क्यों नहीं चलता कानून का जोर? देखिए पूरी रिपोर्ट

शह मात The Big Debate: बेखौफ खनन..बेबस प्रशासन, कभी पत्रकारों से मारपीट..तो कभी तालिबानी सजा, क्यों नहीं चलता कानून का जोर?

  • Reported By: Rajesh Mishra

    ,
  •  
  • Publish Date - June 15, 2025 / 11:04 PM IST,
    Updated On - June 15, 2025 / 11:05 PM IST

CG Politics | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • रेत माफिया, सरकार और प्रशासन को लगातार खुली चुनौती,
  • माफिया के गुर्गे लोगों की हत्या तक करने से पीछे नहीं हटते,
  • बलौदाबाजार में एक युवक को तालिबानी सज़ा दी,

रायपुर: CG Politics: छत्तीसगढ़ में रेत माफिया, सरकार और प्रशासन को लगातार खुली चुनौती दे रहे हैं। माफिया के गुर्गे मारपीट से लेकर लोगों की हत्या तक करने से पीछे नहीं हटते। ताज़ा घटना बलौदाबाजार की है जहाँ पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर एक युवक को तालिबानी सज़ा दी गई। वीडियो वायरल होने पर भारी बवाल मच गया। कांग्रेस को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। कांग्रेस ने सीधे आरोप लगाया कि इन माफियाओं को सरकारी संरक्षण मिल रहा है। तो सवाल उठता है की माफिया को कानून का डर क्यों नहीं है? क्या कार्रवाई की तीव्रता में कमी है या फिर कुछ और खेल चल रहा है? देखिए एक रिपोर्ट…

Read More : Balrampur Rape Case: पहले युवती के साथ की हैवानियत… फिर 5 साल तक की मौज, अब रेप और छेड़छाड़ के मामले में पुलिस का बड़ा एक्शन

CG Politics: छत्तीसगढ़ में खनन माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं इसका ताज़ा उदाहरण सोशल मीडिया में वायरल हो रहे ये वीडियो हैं। खनन माफिया की गुंडई का ताज़ा मामला बलौदाबाजार से सामने आया है, जहाँ एक युवक को खंभे से बांधकर तालिबानी सज़ा दी गई। युवक का कसूर बस इतना था कि माफिया के गुर्गों को शक था कि वह पुलिस का मुखबिर है।

Read More : NIA Raid in Bhopal: राजधानी में HUT का नेटवर्क एक्टिव, मोहसिन की गिरफ्तारी के बाद NIA की छापेमारी, कई डिवाइस जब्त

CG Politics: बलौदाबाजार के खपरीडीह गांव का यह वीडियो 12 जून का बताया जा रहा है जो अब सामने आया है। माफिया का इतना खौफ है कि लोग तमाशा देखते रहे, लेकिन कोई भी पीड़ित परमेश्वर साहू को बचाने नहीं आया। गिधौरी थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। उधर इस वीडियो के सामने आने से सियासी बवाल मच गया है। कांग्रेस ने सरकार पर माफिया के संरक्षण का आरोप लगाया है। कांग्रेस के निशाने पर आते ही सरकार हरकत में आई। सरकार ने चेताया है कि छत्तीसगढ़ में माफिया की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Read More : Bijapur Naxal Attack: माओवादी हमले पर NIA का बड़ा एक्शन… 17 नक्सलियों पर केस दर्ज, एक गिरफ़्तार, बाकी फरार

CG Politics: खनिज माफिया की दबंगई की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं 11 जून 2025 को राजनांदगांव के मोहड़ गांव में खनन माफिया को रोकने पर ग्रामीणों पर फायरिंग की गई, जिसमें दो लोग घायल हो गए थे। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को गांव में घुसने नहीं दिया। 9 जून 2025 को राजिम में अवैध रेत खनन की कवरेज के दौरान पत्रकारों पर हमला किया गया। पत्रकारों को दौड़कर जान बचानी पड़ी। 12 मई 2025 को बलरामपुर के लिबरा रेत घाट पर आरक्षक शिव बचन सिंह ने जब माफिया का ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की, तो ड्राइवर ने उन्हें ट्रैक्टर से कुचलकर मार डाला।

Read More : Religious Conversion in Balrampur: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर बवाल… हिंदू संगठनों ने बनाई धर्म जागरण समिति, अधिकारियों के खिलाफ कल से हल्ला बोल

CG Politics: तो बड़ा सवाल यही है कि प्रदेश में रेत माफिया बार-बार प्रशासन को खुली चुनौती क्यों दे रहे हैं? क्या उन्हें किसी का संरक्षण प्राप्त है? सरकार बदली, अधिकारी बदले फिर भी माफिया बेखौफ क्यों हैं?

"रेत माफिया का छत्तीसगढ़ में इतना प्रभाव क्यों है?"

रेत माफिया को कई जगहों पर स्थानीय संरक्षण, प्रशासनिक लापरवाही और कमजोर कानून व्यवस्था का फायदा मिल रहा है, जिससे उनका दबदबा बना हुआ है।

"बलौदाबाजार रेत माफिया वीडियो कब वायरल हुआ?"

यह वीडियो 12 जून 2025 की घटना का बताया जा रहा है और इसके वायरल होते ही राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई।

"क्या छत्तीसगढ़ में रेत माफिया पर कोई कार्रवाई हुई है?"

कुछ मामलों में FIR दर्ज की गई है और सरकार ने सख्ती का दावा किया है, लेकिन घटनाओं की पुनरावृत्ति यह दर्शाती है कि कार्रवाई की तीव्रता और स्थायित्व में कमी है।

"क्या रेत माफिया को सरकारी संरक्षण मिल रहा है?"

कांग्रेस का आरोप है कि माफिया को सरकार और प्रशासन से संरक्षण मिल रहा है, हालाँकि सरकार इस आरोप को खारिज कर चुकी है।

"छत्तीसगढ़ में 'रेत माफिया' की समस्या कब से है?"

रेत माफिया की गतिविधियाँ छत्तीसगढ़ में पिछले कई वर्षों से जारी हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी हिंसात्मक गतिविधियाँ और बढ़ी हैं, जिससे यह मुद्दा और गंभीर हो गया है।